लीजिए आनंद मंत्रालय से आ गई तनाव भरी खबर

भोपाल। मप्र की शिवराज सिंह सरकार ने भारत के सबसे अनूठे मंत्रालय का गठन किया। नाम है, आनंद मंत्रालय। एक ऐसा मंत्रालय जो तनाव दूर करेगा, लोगों के जीवन में आनंद भरेगा। लेकिन अब मंत्रालय ही तनाव में आ गया है। मोदी की तरह कुछ 'तूफानी' करने के लालच में मकर संक्रांति को सीएम शिवराज सिंह द्वारा शुरू की गई 'आनंदम की दीवार' अब संकट में है। यहां देने वाले कम और लेने वाले ज्यादा पहुंच रहे हैं। स्वभाविक है लोग मायूस हो रहे हैं। यह मायूसी चुनाव में भारी पड़ सकती है। सरकार यही सोचकर तनाव में है। 

भोपाल में 5 स्थानों पर 'आनंदम की दीवार' बनाई गई है। थीम यह है कि जिसके पास जो ज्यादा है वो यहां रख जाए और जिसके पास जो कम है वो यहां से उठा ले जाए। शुरूआत हुई तो खुद सीएम शिवराज सिंह दान देने पहुंचे। देखादेखी कुछ और भी पहुंच गए। लेकिन तीन सप्ताह से हालात खराब होते जा रहे हैं। व्यवस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि दानदाता बहुत कम हैं। टीटी नगर स्टेडियम में 15 जनवरी के बाद कुल 12 लोग ही अपना अतिरिक्त सामान लेकर आए, जबकि 65 जरूरतमंद पहुंचे। 53 जरूरतमंद लोग मायूस होकर लौट गए। 

मुंह दिखाई के बाद कोई नहीं आया
इसकी शुरूआत बड़े बड़े विज्ञापन जारी करके की गई थी। अब आनंदम की दीवार को लेकर भोपाल में घटते उत्साह के पीछे जागरूकता की कमी बताई जा रही है। मकर संक्रांति पर टीटी नगर स्टेडियम में 'आनंदम की दीवार' के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनकी पत्नी साधना सिंह, मंत्री उमाशंकर गुप्ता, विश्वास सारंग सहित अनेक लोग पुराने कपड़े एवं जरूरी सामान लेकर पहुंचे थे। इसके बाद कोई दिग्गज नहीं आया। गैर सरकारी संगठन 'सानिध्य' के दो प्रतिनिधि इसका लेखा-जोखा रख रहे हैं।

यहां बनाई गईं हैं आनंदम की दीवार
भोपाल में टीटी नगर स्टेडियम के अलावा स्वर्ण जयंती पार्क, संजय तरुण पुष्कर कोहेफिजा, गवर्नमेंट कान्सेप्ट स्कूल टीटी नगर एवं गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया मेनरोड पर आनंदम की दीवार बनाई गई है। इसके तहत उस स्थान पर प्लास्टिक के बड़े ड्रमों में सामान रखा रहता है जिसे कोई भी ले जा सकता है। साथ ही जमा भी करा सकता है।

तनाव अभी और बढ़ेगा
अब 'आनंदम की दीवार' शिवराज सरकार के लिए तनाव का कारण बन जाएगी। 5 राज्यों में चुनाव चल रहे हैं, पीछे पीछे मध्यप्रदेश में भी आ रहे हैं। 'आनंदम की दीवार' से लोग निराश लौट रहे हैं। यदि उन्हें कुछ नहीं मिला तो मायूसी विरोध में बदल जाएगी। सरकार 'आनंदम की दीवार' बंद नहीं कर सकती। यदि ऐसा किया तो विरोधियों को मौका मिल जाएगा। लोगों पर 'आनंदम की दीवार' में दान करने के लिए दवाब भी नहीं बनाया जा सकता। कुल मिलाकर तनाव अब और बढ़ेगा। 

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