भोपाल। मप्र के कृषि व सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन पर आरोप है कि उन्होंने न्यायालय उप पंजीयक छिंदवाड़ा को निर्देशित किया कि उनकी कोर्ट में चल रहे मामले में क्या फैसला सुनाना है। मंत्री ने निर्देशित किया कि मामले के आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाया जाए। न्यायालय उप पंजीयक छिंदवाड़ा अनिता उईके ने अपने निर्णय में इस बात को दर्ज किया है।
न्यायालय उप पंजीयक छिंदवाड़ा अनिता उईके के समक्ष बालाघाट की एक सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष के विरुद्ध भ्रष्टाचार की जांच का केस चल रहा था। कोर्ट ने अध्यक्ष राजकुमार रहांगडाले की याचिका को खारिज करते हुए आदेश में ही लिख दिया कि कृषि मंत्री बिसेन ने वादी को पक्ष में निर्णय देने को कहा। समिति की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता दिलीप देशपांडे ने आदेश में कृषि मंत्री को लेकर की गई टिप्पणी के उल्लेख की पुष्टि की है।
28 जनवरी 2017 को मोबाइल नंबर 9425139726 से फोन कर कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा था- मैं आपको निर्देशित करता हूं कि आप वादी के पक्ष मे निर्णय दें। जिससे येे तथ्य प्रमाणित होता है कि वादी अपने संबंधों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अनुचित दबाव डलवाकर कार्य करने का आदी है।
इस मामले मेें न्यायालय की निष्ठा एवं पारदर्शिता प्रश्नगत होने के कारण प्रकरण को चलायमान रखने का न्यायहित में कोई औचित्य नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’छिंदवाड़ा उप पंजीयक अनीता उइके ने आदेश लिखा।