शपथ ग्रहण से पहले नगरपालिका अध्यक्ष की जाति पर विवाद

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। जिला अंतर्गत पसान नगर पालिका चुनाव का परिणाम आने के बाद  अभी शपथ ग्रहण समारोह भी नही हुआ था कि याचिका कर्ता डॉ. गिरीश शिवहरे पिता मोतीलाल शिवहरे निवासी कोतमा ने पसान की नव निर्वाचित अध्यक्ष श्रीमती सुमन गुप्ता के उम्मीदवारी के विरूद्ध जिला सत्र न्यायालय में याचिका के माध्यम से परिवाद दाखिल कर अध्यक्ष पद हेतु निर्वाचित श्रीमती सुमन गुप्ता की उम्मीदवारी शून्य घोषित करने तथा शपथ ग्रहण पर अस्थाई निषेध लागू करने के साथ ही नगर पालिका परिषद पसान में प्रशासक नियुक्त करने की मांग की है। 

याचिकाकर्ता  डॉ. शिवहरे ने अपनी याचिका में सुमन गुप्ता पति राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता निवासी जमुना कॉलरी अनूपपुर, राज्य निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन आयोग भोपाल, जिला निर्वाचन अधिकारी अनूपपुर एवं जिला कलेक्टर के विरूद्ध याचिका दाखिल कर न्यायालय से निवेदन किया है  की नगर पालिका परिषद पसान वर्ष २०१७ के निर्वाचन में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत अध्यक्ष पद हेतु सुमन गुप्ता निर्दलीय अभ्यर्थी है। निर्वाचन हेतु मतदान २० जनवरी २०१७ को कराया गया, निर्वाचन के परिणाम स्वरूप सुमन गुप्ता को विजयी घोषित किया गया। 

याचिका कर्ता द्वारा सूचना के अधिकार के तहत सुमन गुप्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजो का प्राप्त कर जब उसका अवलोकन किया गया तो उसके द्वारा अन्य पिछडे वर्ग का जाति प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया अवैधानिक प्रतीत हुआ उक्त प्रमाण पत्र न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी अनूपपुर जिला शहडोल द्वारा ७ नवम्बर २००१ को प्रकरण क्रमांक ७६२/बी/१२१/२००१ के तहत जारी किया गया। जिसमें नाम सुमनलता पति राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता निवासी जमुना कॉलरी अनूपपुर तहसील अनूपपुर जिला शहडोल जाति भुजवा वर्णित है। जाति प्रमाण पत्र में विसंगतियो की ओर माननीय न्यायालय का ध्यान आकर्षण करते हुए निवेदन किया गया है की नगर पालिका परिषद पसान के नाम निर्देशन पत्र प्रारूप ३ के अंतर्गत सुमन गुप्ता ने अपनी आयु ३८ वर्ष सत्यापित की तथा इसे शपथ पत्र भाग क में सत्यापित  किया जिसमें जन्म की उपधारणा १९८० की जा सकती है। 

शपथ पत्र की कंडिका १० में उनके द्वारा वर्ष १९९१ शिक्षा सत्र में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश से हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण होना वर्णित है। जाति प्रमाण पत्र पर पति राजेन्द्र प्रसाद का नाम वर्णित है अर्थात जाति प्रमाण पत्र पति के नाम व जाति के आधार पर बनाया गया। नियमावली एवं अधिनियमो के आधार पर जाति प्रमाण पत्र उसकी पैतृकता के आधार पर बनाया जाना था क्योकि वह उत्तर प्रदेश राज्य की निवासी है। उत्तरप्रदेश में उत्तरार्थी भुजवा जाति में आते है लेकिन यह अन्य पिछडे वर्ग के अंतर्गत नही आती जिससे यह  स्पष्ट है  की जाति प्रमाण पत्र पूर्णत: अवैधानिक है। 

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