चीन भारत के हुनर को न्यौता देना चाहता है

राकेश दुबे@प्रतिदिन। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि पेइचिंग भारत के हाइटेक टैलंट को अपनी ओर आकर्षित करे ताकि आविष्कारों के मामले में चीन अपनी क्षमता बढ़ा सके। अखबार ने यहां तक कहा कि चीन ने भारत के विज्ञान एवं तकनीकी विशेषज्ञों को नजरअंदाज करके गलती की है। लेख में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन में तकनीकी नौकरियों में अभूतपूर्व उछाल देखा गया है और यह विदेशी अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के लिए एक आकर्षक केंद्र बन गया है। लेकिन अभी कुछ हाई-टेक कंपनियां अपना ध्यान चीन से हटाकर भारत की ओर लगा रही हैं। 

इसका कारण भारत में तकनीकी श्रम का तुलनात्मक रूप से सस्ता होना है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन के लिए बेहतर होगा कि वह तकनीकी क्षेत्र में अपनी गति बरकरार रखने के लिए भारत से हुनरमंद लोगों को अपने यहां बुलाए और यूरोपीय-अमेरिकी विशेषज्ञों पर आश्रित होना छोड़े।

चीनी अखबार की यह राय भारत के सामने मौजूद एक बड़ी संभावना की ओर इशारा करती है। पिछले डेढ़-दो दशकों में भारत के आईटी प्रफेशनल्स का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। इधर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रफेशनल्स के लिए वीजा नियम कठिन करने के संकेत दिए तो यूरोपीय संघ ने उनके लिए दरवाजे और ज्यादा खोलने के संकेत दिए। 

भारत दौरे पर आए यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह अधिक भारतीय आईटी पेशेवरों को अपने यहां काम करने की अनुमति देने के लिए तैयार है। दल के प्रमुख डेविड मैकएलिस्टर ने कहा कि उनके यहां भारतीय पेशेवरों की काफी मांग है। यह भी कि भारतीय प्रफेशनल्स न होते तो यूरोप का आईटी क्षेत्र इतना सफल नहीं होता।

अन्य देश भी भारतीय विशेषज्ञों के बारे में यही राय रखते हैं, जिनमें एशिया के वे मुल्क शामिल हैं जिनका आईटी क्षेत्र में अच्छा दखल माना जाता है। लेकिन एक परंपरागत भारतीय मानसिकता है कि हम आगे बढ़ने की गुंजाइश सिर्फ अमेरिका-इंग्लंड जैसे अंग्रेजी भाषी देशों में देखते हैं। इसकी एक वजह भाषा की समानता है। 

भारतीयों की पढ़ाई भी अंग्रेजी में होती है इसलिए उन्हें अंग्रेजी वाले मुल्कों में दिक्कत नहीं होती। लेकिन यह सोच अब हमारे हितों पर भारी पड़ रही है और हर हाल में हमें अपना दायरा बढ़ाना चाहिए। अगर चीन हमारे प्रफेशनल्स को सारी सुविधाएं देता है, तो उसका रुख क्यों न किया जाए? आज राजनीतिक-कूटनीतिक संबंध से कहीं ज्यादा महत्व वाणिज्यिक-पेशेवर रिश्ते को दिया जाता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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