इलाहाबाद। यूपी में गर्म चुनावी माहौल के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। बाहुबली मुख्तार अंसारी को बसपा में शामिल करते समय मायावती ने उन्हें निर्दोष बताया तो इस बात से हाईकोर्ट नाराज है। बसपा सुप्रीमो के इसी बयान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के महाधिवक्ता कार्यालय में अशोक सिंह ने आपराधिक अवमानना याचिका दाखिल की है। 13 फरवरी को मामले में बहस होगी और कार्रवाई तय मानी जा रही है। कोर्ट ने भी सख्त लहजे में स्पष्ट किया कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को कोर्ट के विचाराधीन मामले में ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग विधिसम्मत नहीं है।
बयान में कोर्ट की अवमानना
जैसा कि सर्वविदित है न्यायालय के आदेश के विपरित कार्य पर उसे न्यायालय की अवमानना माना जाता है। इस मामले में भी कोर्ट में हत्या जैसे जघन्य अपराध के आरोपी को निर्दोष कहना कोर्ट की अवमानना है। मायावती के बयान को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि कोर्ट ने मुख्तार को दोषी करार दिया है।
अंसारी का चर्चित हत्याकांड से नाता
बाहुबली मुख्तार अंसारी अपने खौफ की वजह से खासे चर्चित रहे हैं। पूर्वांचल में आज भी मुख्तार की तूती बोलती है। दर्जनों मुकदमों के साथ काफी समय तक वो जेल में बंद रहे। अंसारी हाल ही में बसपा के सदस्य बने हैं। जबकि सपा में शामिल होने की हसरत अखिलेश यादव ने पूरी नहीं होने दी थी। मालूम हो कि यूपी के मऊ में अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना की 2009 में हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के चश्मदीद गवाह राम सिंह मौर्या और उनके गनर कांस्टेबिल सतीश सिंह की भी 2010 में हत्या कर दी गई थी। दोनों हत्याकांडों में मुख्तार के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई और बहस अंतिम दौर में है।
बीते 25 जनवरी को मायावती ने मुख्तार को पार्टी ज्वाइन कराते समय उन्हें निर्दोष कहा था। इसी बयान को कोर्ट की अवमानना का आधार बनाया गया है। जबकि कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने भी बसपा सुप्रीमो के बयान को आधार बनाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है।