ग्वालियर। जिले में मुख्यमंत्री आवास, इंदिरा आवास और होम स्टेड जैसी तीन योजनाओं में जिला पंचायत ने बड़ा घोटाला पकड़ा है। इन तीनों योजनाओं में वर्ष 2011 से लेकर 2016 तक 5337 आवास निर्मित कर जरूरतमंदों को प्रदान किए जाने थे, लेकिन जांच में 1400 आवास ऐसे पकड़ में आ गए हैं जिनके लिए इन पांच सालों में 1 करोड़ 81 लाख 30 हजार रुपए का भुगतान हितग्राहियों को किया गया, लेकिन मौके पर 518 आवास पूरी तरह से गायब थे और 882 आवासों की नींव व पिलर तैयार कर छोड़ दिया गया था।
मामले का खुलासा तब हुआ जब जिला पंचायत ने पिछले पांच सालों में तीनों योजनाओं में निर्मित किए जा रहे आवासों के आंकड़ों को ऑनलाइन अपडेट हुए आंकड़ों से मिलाना शुरू किया। नई व्यवस्था में आवास योजनाओं में निर्मित आवासों को फोटो के साथ जिला पंचायत के पोर्टल पर अपलोड करना होता है। निर्मित आवासों की फोटो अपलोडिंग का काम शुरू हुआ तो 3951 आवासों की फोटो तो पोर्टल पर अपलोड कर दिए। अन्य 1400 आवासों के फोटो अपलोड नहीं हुए।
जब पंचायत अधिकारियों ने इस काम में लगे एडीईओ (सहायक विकास विस्तार अधिकारी) और पीसीओ (पंचायत समन्वयक अधिकारी) से पूछताछ शुरू की तो ऐसे 26 एडीईओ, पीसीओ और 50 ग्राम पंचायत सचिवों की पोल खुल गई, जिन्होंने फर्जी हितग्राहियों से सेटिंग कर कागजों में निर्माण कंपलीट दिखाकर उन्हें आवास निर्माण की पहली किश्त के रूप में 35-35 हजार रुपए का भुगतान करा दिया था। कंपलीट होने के प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरी किश्त के रूप में फिर से 35-35 हजार रुपए का भुगतान कराने की तैयारी कर रहे थे।
घोटाले की जानकारी मिलते ही जिला पंचायत सीईओ ने सभी 26 एडीईओ और 50 ग्राम पंचायत सचिवों की कार्यप्रणाली की जांच कराने डिप्टी सीईओ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी अब एक-एक करके सभी एडीईओ, पीसीओ और पंचायत सचिवों द्वारा उनके क्षेत्रों में आवास निर्माणों की जांच-पड़ताल कर रही है। प्रारंभिक जांच में एमके दुबे नाम का एडीईओ दोषी पाया गया है। एमके दुबे को जिला पंचायत सीईओ ने चार दिन पहले ही बर्खास्तगी का नोटिस जारी किया है। शेष एडीईओ, पीसीओ और ग्राम पंचायत सचिवों की जांच जारी है।
हितग्राहियों से वसूली की तैयारी, SDM कोर्ट में चलेंगे प्रकरण
जिला पंचायत अब उन सभी 1400 हितग्राहियों को नोटिस भेजने जा रहा है, जिन्होंने बगैर आवास निर्माण किए ही पहली किश्त के रूप में 35-35 हजार रुपए का भुगतान इंदिरा आवास, होम स्टेड और मुख्यमंत्री आवास योजना में ले लिया। इन सभी हितग्राहियों के खिलाफ संबंधित एसडीएम कोर्ट में प्रकरण दायर किए जाएंगे और इनसे आवास निर्माण की राशि की रिकवरी की जाएगी। राशि नहीं लौटाने पर संबंधित हितग्राही के खिलाफ जेल भेजने की भी कार्रवाई होगी।
क्या था योजना का मकसद
इंदिरा आवास योजना केन्द्र सरकार की योजना थी। होम स्टेड और मुख्यमंत्री आवास योजना प्रदेश सरकार की योजनाएं हैं। तीनों ही योजनाओं का संचालन जिला पंचायतों के माध्यम से होना था। इन तीनों योजनाओं में बीपीएल कार्डधारी ऐसे हितग्राहियों को एक कमरे, किचिन, लैट-बाथ का भवन उपलब्ध कराना था, जिनके पास पक्के आवास नहीं थे और कच्चे व झोपड़ीनुमा आवासों में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं, लेकिन जिला पंचायत की जांच में पता चला कि योजना को जमीनी स्तर पर ले जाने वाले एडीईओ और पीसीओ ने अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे लोगों के आवेदन हितग्राही बताकर पेश कर दिया जिन्होंने फर्जी बीपीएल कार्ड ले रखे थे और मौके पर उनके दो से तीन मंजिला भवन बने हुए हैं। जांच अभी भी जारी है जिसमें कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
विभागीय जांच चल रही है
यह बात सही है कि पिछले पांच सालों में जिले में इंदिरा आवास, होम स्टेड और मुख्यमंत्री आवास योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। सैकड़ों की संख्या में आवास बनाए ही नहीं गए हैं और उनके लिए पैसा भी जारी कर दिया गया। इस मामले में गड़बड़ी करने वाले 26 एडीईओ और पीसीओ चिहि्नत कर लिए गए हैं। उनके खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है
नीरज कुमार सिंह, सीईओ, जिला पंचायत, ग्वालियर