
स्कूली शिक्षा को पीपीपी मोड पर ले जाने की योजना पर भी काम हो रहा है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों को स्कूल माफियाओं को गोद दिए जाएंगे। इसके साथ ही सरकार 15 किलोमीटर के दायरे के स्कूलों को एक ही स्कूल में समाहित करने की तरफ बढ़ रही है, इससे स्कूलों की संख्या में भारी कमी आने वाली है।
स्कूली शिक्षा के सामने मौजूद इन खतरों के वास्तविक कारणों को समझने और इससे किस तरह लड़ा जाए। यह जानने के लिए रविवार 12 फरवरी को गांधी भवन भोपाल में शिक्षा के निजीकरण पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है, उक्त आशय की जानकारी शा.अध्यापक संगठन के जिला अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने दी।
बताया कि इसमे प्रदेश भर से नेतृत्वकारी अध्यापकों शामिल होगे। अध्यापक संघर्ष समिति की ओर से होने वाले व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजीव कुमार एवं जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के प्रो. डा. ए पी एस चौहान उपस्थिति रहेंगे। ध्यान रहे डा. संजीव कुमार 2006 में पंचमढ़ी में संपन्न हुए प्रशिक्षण शिविर में भी व्याख्यान दे चुके हैं। व्याख्यान माला अतिथि वक्ता के रूप में बीएमएस के सुल्तान सिंह शेखावत, सीटू के प्रमोद प्रधान, इंटक के आर डी त्रिपाठी, एटक के रूप सिंह चौहान एवं किसान नेता शिवकुमार शर्मा भी निजीकरण के खतरों पर विचार रखेंगे।
शा.अध्यापक संगठन के जिला अध्यक्ष श्री तिवारी ने बताया कि अध्यापक संघर्ष समिति की ओर से पहली बार होने जा रहे इस व्याख्यान माला का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि सरकार अब तक अध्यापकों को भीड़ समझती आई है, इसीलिए वह बर्ताव भी भीड़ जैसा ही करती है। दो बार जारी किए गए छठवें वेतनमान के गणनापत्रक के जरिए सरकार ने पौने तीन लाख अध्यापकों के साथ जो खिलवाड़ की है, उससे अध्यापकों में व्यापक नाराजगी है।
शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए संघर्ष कर रहे अध्यापकों ने वर्ष 2017 को संविलियन संघर्ष वर्ष घोषित किया है, जिसके तहत 5 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर रैलियां की गई, 9 जनवरी को भोपाल में संकल्प सभा करके 26 फरवरी को मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की घोषणा की जा चुकी है। 12 फरवरी को होने वाली व्याख्यान माला शिक्षा विभाग में संविलियन के संघर्ष को गति देने में मददगार साबित होगा और अध्यापकों को संघर्ष को सही दिशा में चलाने में सहायक होगा।