राष्ट्रगान पर खड़े होने को लेकर कोई कानून ही नहीं

नई दिल्ली। सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश की समीक्षा करते हुए कहा है कि यदि फिल्म के शुरू में है तो खड़े होना अनिवार्य है। बीच में बाध्यता नहीं है। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि राष्ट्रगान पर खड़े होने को लेकर कोई कानून ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मुद्दे पर बहस की जरूरत है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म सोसायटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुद्दे पर असमंजस को साफ किया और कहा कि अगर फिल्म शुरू होने के पहले राष्ट्रगान बजता है तो लोगों को खड़ा होना जरूरी है लेकिन फिल्म के बीच में किसी सीन के दौरान यह बजता है तो दर्शक इस पर खड़ो होने के लिए बाध्य नहीं हैं। साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि वो राष्ट्रगान को दोहराएं भी।

अदालत ने कहा कि हम नैतिकता के पहरेदार नहीं हैं। मामले को लेकर केंद्र ने कहा राष्ट्रगान पर खड़े होने को लेकर कानून नहीं है। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र की तरफ से अदालत में कहा कि कोर्ट राष्ट्रगान के अपमान से जुड़े कानून पर भी एक बार नजर डाले।

बता दें कि दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने से पहले सभी दर्शकों को इसके सम्मान में खड़ा होने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा।

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