
भोपाल के सांसद आलोक संजर सांसद निधि के इस्तेमाल में प्रदेश के सभी 29 सांसदों में सबसे पीछे हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 में तो उन्होंने अपनी निधि से एक पाई भी खर्च नहीं की है, वहीं उनका गोद लिया गांव भी तमाम दुश्वारियों का सामना कर रहा है। राजधानी से 27 किलोमीटर दूर तारा सेवनियां गांव को आलोक संजर ने गोद लिया था, उस समय गांव के लोगों को विकास की उम्मीद बंधी थी, लेकिन 4.5 हजार के आबादी वाले इस गांव की तस्वीर में कोई बदलाव नहीं आया। लोग आज भी पानी, स्ट्रीट लाइट और सड़कों का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सांसदों को विकास निधि किसलिए मिलती है?
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इन्हे जनता की फिक्र नहीं है
नरेंद्र सिंह तोमर - ग्वालियर
अनूप मिश्रा - मुरैना
राकेश सिंह - जबलपुर
आलोक संजर - भोपाल
ज्योति धुर्वे - बैतूल
बोध सिंह भगत - बालाघाट
उदय प्रताप सिंह - होशंगाबाद
रीति पाठक - सीधी
कांतिलाल भूरिया - रतलाम
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इनकी तो 2015-16 की भी बकाया
आलोक संजर - भोपाल
अनूप मिश्रा- मुरैना
नरेंद्र सिंह तोमर- ग्वालियर
ज्योति धुर्वे - बैतूल
राकेश सिंह - जबलपुर
25 करोड़ है विकास निधि
सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए 5 करोड़ रुपए सालाना यानी पूरे कार्यकाल में 25 करोड़ रुपए की निधि मिलती है। सांसद के प्रस्ताव पर कलेक्टर के माध्यम से यह राशि बुनियादी विकास से जुड़े कामों पर खर्च की जाती है। मध्यप्रदेश के सभी 29 सांसदों को सालाना 145 करोड़ रुपए रुपए की निधि प्रदेश के विकास के लिए मिलती है।