
25 वर्षीय शेख ने पिछले वर्ष मार्च में लोक रक्षक दल (LRD) से जुड़े थे। वह शाहीबाग स्थित पुलिस हेडक्वार्टर में पोस्टेड थे। 9 महीनों तक विभाग ने उनके दाढ़ी रखने पर आपत्ति नहीं जताई, लेकिन 3 महीने पहले उन्हें दाढ़ी हटाने को कहा गया। शेख ने दाढ़ी रखने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दिया लेकिन सीनियर अधिकारियों ने उनकी बात नहीं मानी और दाढ़ी रखने के पीछे हज यात्रा पूरी करने की शर्त रखी।
शेख ने बताया, 'मैं पिछले 7-8 वर्षों से दाढ़ी रख रहा हूं। विभाग में भी किसी को इस पर आपत्ति नहीं थी लेकिन एक दिन मुझे दाढ़ी हटाने को कहा गया। उन्होंने मेरे सामने दाढ़ी रखने के लिए हजयात्रा पूरी करने की शर्त रखी। केवल दाढ़ी रखने के लिए मैं हज यात्रा पर 2 लाख कैसे खर्च करूं? इसके बाद मुझे दाढ़ी के साथ ड्यूटी भी नहीं करने दिया गया।'
संयुक्त पुलिस आयुक्त आर जे सवानी ने कहा, 'नियमों के अनुसार शेख को राहत नहीं मिलेगी। वह हाजी होने की एकमात्र शर्त पर ही दाढ़ी रख सकता है। सामान्य तौर पर प्रॉबेशन पीरियड खत्म होने पर ही वह दाढ़ी रख सकता है। LRD के मामले में प्रॉबेशन पीरियड 5 साल का है।'
गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में शेख ने धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा कि दाढ़ी से उनकी ड्यूटी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने इसके लिए सेना या पुलिस में सिखों को दाढ़ी रखने की स्वतंत्रता का भी जिक्र किया।
वहीं सरकारी वकील मनीषा शाह ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें एयर फोर्स के एक मुस्लिम सदस्य को धार्मिक आधार पर दाढ़ी रखने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था।