
बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव सीएम कैंडिडेटशिप के लिए कमलनाथ और सिंधिया दोनों ही इन दिनों राहुल गांधी के लेफ्ट-राइट हो रहे हैं। सदन में भी ऐसा ही नजारा दिखाई दिया। दोनों चाहते हैं कि अगला चुनाव उनकी लीडरशिप में लड़ा जाए। दोनों के अपने अपने दावे हैं और दोनों की अपनी अपनी पकड़।
6 महीने चलेगा फ्रेंडली मैच
हाईकमान दोनों में से किसी को नाराज नहीं करना चाहता, क्योंकि दोनों की मप्र के बाहर भी कांग्रेस में उपयोगिता है। अत: 10 जनपथ ने तय किया है कि दोनों के बीच फ्रेंडली मैच कराया जाए। आधा मप्र इधर और आधा मप्र उधर कर दिया जाए। दोनों अपने अपने क्षेत्र से सरकार को घेरेंगे। इस दौरान दिखाई दे जाएगा कि जनता का मूड क्या है। उसी के हिसाब से फैसला हो जाएगा। जो आगे निकल जाएगा, दूसरा कांग्रेस हित मे बिना गुटबाजी के उसके पीछे आकर उसको सपोर्ट करेगा। दोनों अपने अपने क्षेत्रों से कांग्रेस को जिताकर मप्र में सरकार बनाएंगे। रही बात पदों के बंटवारे की तो एक का नेता प्रतिपक्ष होगा, दूसरे का पीसीसी प्रेसिडेंट। पार्टी के बाकी पद भी इसी तरह मिलबांटकर वितरित कर दिए जाएंगे।
दिग्विजय सिंह अब दखल नहीं देंगे
हाईकमान को मालूम है कि यदि आगामी विधानसभा चुनाव में वो वापसी नहीं कर पाई तो उसकी हालत मप्र में सपा/बसपा जैसी हो जाएगी और एक तीसरे क्षेत्रीय दल का उदय भी हो जाएगा। अत: हाईकमान ने इशारा कर दिया है कि दिग्विजय सिंह मप्र की राजधानी में दखल ना दें। केंद्र में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करें। शायद इसीलिए इन दिनों दिग्विजय सिंह गुमसुम हैं।