भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरुण यादव ने आज देश की शीर्ष अदालत द्वारा मप्र के व्यापम महाघोटाले में पीएमटी में भ्रष्टाचार के माध्यम से चयनित करीब 634 छात्रों के प्रवेश रद्द किये जाने के पारित महत्वपूर्ण फैसले के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह से इस्तीफा मांगा है। श्री यादव का मानना है कि ये सभी छात्र नकल नहीं कर रहे थे, बल्कि इनसे सरकार, चिकित्सा-शिक्षा माफिया, दलालों और व्यापमं से जुड़े भ्रष्ट अधिकारीगण एक बड़ी रकम लेकर उनके चयन हेतु नकल करवा रहे थे।
श्री यादव ने पीएमटी घोटाले की एक महत्वपूर्ण कड़ी डॉ. यूसी उपरीत के धारा 164 में दिए गए उस बयान की भी याद दिलाई है, जिसमें उपरीत ने कहा है कि हम चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनते ही उन्हें 10 करोड़ रुपये भिजवा देते थे। आज आये इस महत्वपूर्ण फैसले में जिस अवधि (2008-2012) का जिक्र किया गया है, उस अवधि में चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास था। क्या बच्चों के ‘मामा’ इस अपराध से मुक्त हो सकते हैं, शायद नहीं। लिहाजा, वे इसकी नैतिक जिम्मेदारी लें और अपने पद से इस्तीफा दें।
श्री यादव ने उस राज्य सरकार और भाजपा पर भी तंज कसा है जो विभिन्न न्यायालयीन आदेशों की व्याख्याओं को स्वयं ही अपने पक्ष में बताकर चापलूसी करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को ‘‘क्लीनचिट’’ दे देती है? श्री यादव ने मुख्यमंत्री की चापलूसी और व्यापमं में अपने आप को निर्दोष बताने का निरंतर जाप कर रही सरकार व संगठन से यह भी जानना चाहा है कि यदि यह फैसला नहीं आता और उक्त छात्र डॉक्टर बन गए होते तो प्रदेश-देश में होने वाली निर्दोष मौतों का जवाबदार कौन होता?