भोपाल। सिंधिया विरोध की राजनीति करने वाले मंत्री जयभान सिंह पवैया अपनी ही भाजपा में अलग थलग पड़ गए हैं। उन्होंने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम के आगे 'श्रीमंत' लिखा होने पर आपत्ति जताई थी। यह एक सरकारी कार्यक्रम में लिखा गया था। पवैया को आपत्ति थी कि यह सामंती शब्द है, इसका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। लेकिन भाजपा ने इसे पवैया की निजी राय माना है। मजेदार तो यह है कि 'श्रीमंत' शब्द को सामंती और गैरलोकतांत्रिक बताने वाले जयभान सिंह पवैया खुद अपने नाम के आगे 'कुंवर' लगाते हैं। बताते चलें कि ग्वालियर/चंबल में 'कुंवर' शब्द जमींदारों के बेटों के लिए प्रयोग किया जाता है। जो इतिहास में किसानों को प्रताड़ित करने के लिए बदनाम रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने रविवार को प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से कहा कि हम उस परिवार को सम्मान देते आए हैं और देते रहेंगे। श्रीमंत बोलने में मुझे आपत्ति नहीं है। जयभान सिंह पवैया का विरोध उनका व्यक्तिगत मामला है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों गुना के एक सरकारी कार्यक्रम में शिला पट्टिका पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम के आगे श्रीमंत शब्द लिखा देखकर जयभान सिंह पवैया भड़क गए थे।
बता दें कि ग्वालियर में लंबे समय से कई नेता केवल सिंधिया विरोध के कारण ही पार्टी और सत्ता में बड़े पद हासिल करते आए हैं। यहां विकास से ज्यादा सिंधिया विरोध की राजनीति होती है। जयभान सिंह पवैया की तो सत्ता में शुरूआत ही सिंधिया विरोध से हुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ते हुए पवैया ने 'श्रीमंत' और 'महाराज' संबोधन को ही मुद्दा बनाया था। तब से लगातार पवैया इसी ऐजेंडे पर टिके हुए हैं।