व्यक्ति का नाम ही उसकी पहचान होती है। कोई नाम कमाता है कोई बदनाम हो जाता है। जब भी कोई व्यक्ति इस धरा पर जन्म लेता है तब सबसे पहले उसके नामकरण की प्रक्रिया सम्पन्न की जाती है। हमारे सनातन धर्म मॆ जन्मपत्रिका के आधार पर नामकरण किया जाता है। पंडितजी ने राशि का नाम अक्षर बताया और नाम रख लिया यह पुरातन पद्धति है। हमने इसमे थोड़ा संशोधन करके ऐसी विधि निकाली है जिसमे आप अपने बच्चे का सर्वश्रेष्ठ नाम का चयन करे जिससे वह अपने जीवन मॆ ज्यादा तरक्की और उन्नति प्राप्त करे।
पहले पंडित जी जन्मपत्रिका बनाकर आपको राशि व नामअक्षर देते थे लेकिन वह ये विचार नही करते थे की राशि मॆ ग्रहण योग है या नही या फ़िर आपका चंद्रमा कही शत्रु स्थान, रोग स्थान, मौत के स्थान, दंड विपत्ति के घर मॆ तो नही पड़ा है। यदि आपका चंद्र इन स्थान मॆ है और आपने उसी स्थान से जुड़ा हुआ नाम रख लिया तो फ़िर आपको रोग, कष्ट विपत्ति आदि से परेशान होना पड़ेगा। इसिलिये ऐसा नाम कदापि न रखें।
नामकरण कैसे करें
अपने बच्चों की पत्रिका का नाम पत्री के शुभ भाव तथा शुभ ग्रह से जुड़े हुए होना चाहिये पत्री मॆ लग्न(प्रथम) पंचम(शिक्षा) नवम (भाग्य) तथा दशम राज्य स्थान अति शुभ होते है। इन स्थानों से जुड़े हुए नाम जातक कॊ महत्वपूर्ण सफलता प्रदान करते है।
पत्रिका मॆ चंद्र और सूर्य यदि ग्रहण योग मॆ हो जिस राशि मॆ यह ग्रहण योग बन रहा है उस राशि का नाम भी नही रखना चाहिये। जैसे आपकी मिथुन राशि है तथा पत्रिका मॆ चंद्रराहु या केतु का ग्रहण योग है तब इस राशि का नाम आपको जीवन मॆ आकस्मिक बाधा तथा परेशानी देगा। उसी तरह यदि आपकी पत्री मॆ सूर्यग्रहण है तो इस राशि से जुड़ा नाम आपको बदनामी देगा।
शुभ भाव तथा राज़योग के नाम
पत्री मॆ तीन शुभ केन्द्र (लग्न,चतुर्थ दशम) तथा दो शुभ त्रिकोण (पंचम ,नवम) होते है। जब केन्द्र और त्रिकोण के मध्य इन्ही शुभ भाव मॆ सम्बन्ध बन रहे है तो उस राशि से रखा गया नाम आपको महत्वपूर्ण सफलता देगा क्योंकि उसका सीधा सम्बन्ध आपकी पत्री के शुभ भाव से है।
नाम राशि का इतना महत्व क्यों
जब आपको कोई बुलाता है तो आपकी नाम राशि से जुड़ी हुई राशि प्रभावित होती है।इसका प्रभाव आपकी अन्य राशियों की तुलना मॆ सबसे अधिक होता है यदि आप सो भी रहे है तो यह राशि आप पर सबसे ज्यादा प्रभावी रहती है एक तरह से नाम राशि का प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है।
दुकान,संस्थान,उद्योग का नामकरण
आपके आर्थिक हित तथा अन्य लोगो से जुड़े संस्थान के नामकरण मॆ विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। इनके नामकरण मॆ चतुर्थ, भाग्य तथा शनि की अनुकूल स्थिति आपको विशेष लाभ देगी। कोई भी नामकरण कोई मामूली नही विशेष महत्वपूर्ण है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184