
याचिका में महिला ने कहा, मेरे पति को पॉर्न की लत लग चुकी है और वह इन दिनों इंटरनेट पर आसानी से मिलने वाले पॉर्न को देखते हैं। इसके कारण मेरे पति का दिमाग बिगड़ गया है, जिसके कारण मेरी शादीशुदा जिंदगी तबाह हो गई है।
शादी के 30 साल बाद शुरू हुई लत
सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाली महिला ने कोर्ट को बताया कि वह 30 वर्षों से खुशहाल शादीशुदा जिंदगी बिता रही थी, लेकिन समस्या की शुरुआत 2015 से हुई जब उनके पति को पॉर्न देखने की लत लग गई। इस दंपत्ति के दो बच्चे हैं। महिला ने कहा, पॉर्न की लत के कारण मुझे और मेरे बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उसने कहा कि बतौर सामाजिक कार्यकर्ता भी एेसे लोगों से मिलती हूं जो इंटरनेट पर मौजूद मुफ्त पॉर्न की लत से पीड़ित हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पॉर्नोग्राफी वेबसाइट्स को ब्लॉक करने को लेकर केंद्र सरकार से पूछा था। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि एेसी साइट्स पर प्रतिबंध लगाने में तकनीकी कठिनाई का बहाना आदेश का पालन न करने के आधार के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। चाइल्ड पॉर्न साइट्स पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह आईटी एक्सपर्ट्स के साथ बैठे और एेसी साइट्स को ब्लॉक करने के रास्ते खोजे। कोर्ट ने कहा कि वह भारतीय कानून के तहत यह मान्य नहीं है और आपको इन्हें ब्लॉक करना ही होगा।