
कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि भले ही इस मामले में समझौता हो गया हो, लेकिन आरोपियों को दंड दिया जाना आवश्यक है। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि महज समझौता दुराचार के आरोपियों को सहानुभूति का पात्र कतई नहीं बना सकता। एक स्त्री की लज्जाभंग करने वाले सजा से बच नहीं सकते।
अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अजय जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ धारा-354, 294, 323/34 के अलावा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पास्को) के तहत अपराध कायम किया गया था। पीड़िता की शिकायत पर हनुमानताल पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया। इस बीच दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया।