जबलपुर। दशम विशेष न्यायाधीश (पास्को) पीसी गुप्ता की अदालत ने यहां एक उदाहरण पेश किया है। नाबालिग लड़की के यौन शोषण के मामले में पीड़िता की मां ने आरोपियों से लिखित राजीनामा कर लिया। जो कोर्ट में पेश किया गया लेकिन कोर्ट ने फिर भी दोषियों सूरज चौधरी व अनिल कुमार चौधरी को तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुना दी। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि भले ही इस मामले में समझौता हो गया हो, लेकिन आरोपियों को दंड दिया जाना आवश्यक है। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि महज समझौता दुराचार के आरोपियों को सहानुभूति का पात्र कतई नहीं बना सकता। एक स्त्री की लज्जाभंग करने वाले सजा से बच नहीं सकते।
अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अजय जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ धारा-354, 294, 323/34 के अलावा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पास्को) के तहत अपराध कायम किया गया था। पीड़िता की शिकायत पर हनुमानताल पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया। इस बीच दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया।