
सीएम शिवराज सिंह ने मुन्ना सिंह को आनन फानन भोपाल बुला लिया था। ताजपोशी की तैयारियां हो गईं थीं। भदौरिया को हाउसिंग बोर्ड का उपाध्यक्ष घोषित कर दिया गया। जल्दबाजी ऐसी कि रविवार की छुट्टी होने के बावजूद न सिर्फ मंत्रालय खुला, बल्कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी मंत्रालय पहुंच गए। नियुक्ति आदेश का मसौदा भी तैयार हो गया, जबकि बोर्ड में उपाध्यक्ष का पद ही नहीं है। मुन्ना सिंह को लालबत्ती थमाना जरूरी था नहीं तो अटेर चुनाव में हालात बदल जाते। आनन-फानन में बीज निगम में उपाध्यक्ष बनाने के आदेश जारी किए।
मुन्ना को लालबत्ती थमाकर चुप करा दिया
अटेर में उपचुनाव आ रहे हैं। अरविंद भदौरिया ने टिकट के लिए सारी जमावट कर ली है लेकिन पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया (किशूपुरा) अरविंद के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा थे। यदि उन्हे नजरअंदाज किया जाता तो चुनाव परिणाम बदल सकते थे। तय हुआ कि मुन्ना को लालबत्ती थमाकर चुप करा दिया जाए। संगठन और सरकार में सहमति बनी और मुन्ना सिंह को भोपाल बुला लिया गया।
दो बार विधायक रहे मुन्ना
मुन्ना सिंह अटेर से दो बार विधायक रह चुके हैं। पहली बार उन्हें 1989 में चुना गया था। दूसरा चुनाव वे 1998 में जीते थे। हालांकि वे 1993 और 2003 दोनों बार कटारे से चुनाव हारे थे। जिन दो चुनावों में उन्हें फतह मिली कटारे की जगह पार्टी ने अन्य नेताओं को आजमाया था। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के निधन से खाली हुई अटेर सीट के उपचुनाव के लिए मुन्ना सिंह तगड़ी लाबिंग कर रहे थे। जबकि अरविंद भदौरिया ने दिग्गजों के बीच जमावट कर ली थी। इसीलिए मुन्ना सिंह को राज्य मंत्री का दर्जा देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। अब मुन्ना सिंह की जिम्मेदारी है कि वो चुनाव में अरविंद की जीत सुनिश्चित करें।