
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि सहित अभिभावकों व छात्रों से तरह-तरह से की जा रही लूट के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इसी कड़ी में उनकी ओर से जनहित याचिका के जरिए हाईकोर्ट की शरण ली गई थी। यह मामला लंबे समय से विचाराधीन है।
इसी सिलसिले में पूर्व में हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाकर्ता को जबलपुर सहित राज्य की कुछ स्कूलों द्वारा तीन माह की अवधि में मनमाने तरीके से शुल्क में किए गए इजाफे के संबंध में तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने को कहा था। जिसके पालन में संशोधन अर्जी प्रस्तुत कर दी गई। इसके जरिए स्कूलों के नाम और उनके द्वारा बढ़ाए गए शुल्क का ब्योरा पेश किया गया। हाईकोर्ट ने सोमवार को यह संशोधन अर्जी सुनवाई के लिए मंजूर कर ली।
50 से 100 फीसदी तक वृद्धि
जनहित याचिकाकर्ता का आरोप है कि जबलपुर सहित राज्य की नामचीन निजी स्कूलों ने शिक्षा को मुनाफे का सौदा बनाते हुए जमकर फीस वृद्घि की है। यह इजाफा आश्चर्यजनक तरीके से 50 से 100 फीसदी तक हुआ है।