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कालाधन कमाए बिना करोड़पति बनना है तो...

हर इंसान चाहता है की वह एक अच्छी जिंदगी गुजारे। उसके पास अच्छा पैसा हो जिससे वह अपनी आवश्यकता पूरी कर सके। हमे अपने जीवन में अधिकतर लोगों कों आर्थिक कारणों से निम्नस्तर की जीवन गुजारते देखा है तथा कुछ लोग विलासिता पूर्ण जीवन जीते है आइये इन कारणों की व्याख्या करें।

ज्योतिष में धन और लक्ष्मी का कारक शुक्र ग्रह को माना गया है। सबसे ज्यादा धन देने में यही ग्रह समर्थ है। शुक्र ग्रह को शुक्राचार्य/दैत्याचार्य भी कहाँ जाता है। वृषभ और तुला राशि का स्वामी शुक्र ही होता है। तुला राशि शुक्र की मूल त्रिकोण अर्थात सबसे प्रिय राशि है। व्यय भाव अर्थात पत्रिका का 12वां स्थान इसकी सबसे प्रिय जगह है। 12वीं राशि मीन में यह उच्च राशि का होता है। इस ग्रह को भोग प्रिय ग्रह कहा गया है। इसलिये पत्रिका के बारहवें भाव जिसे खर्च, शय्या स्थान भी कहा जाता है, वहां यह ग्रह सबसे शानदार परिणाम देता है। यदि आपकी कुंडली में यह ग्रह अच्छी स्थिति में है तो आपको शानदार जीवन जीने को मिलेगा। शुक्र की नीच राशि कन्या होती है। जहा ये ग्रह अच्छे परिणाम नही देता।

शुक्र की शुभ स्थिति
पत्रिका में वृषभ, तुला तथा मीन राशि का शुक्र हो तो जातक यदि दरिद्र परिवार में भी जन्मा हो तो अमीर बन जाता है। यदि किसी भी राशि का शुक्र बारहवें भाव में हो तो जातक को वैभवपूर्ण जीवन जीने कॊ मिल ही जाता है। यदि पत्रिका के 6ठे भाव मॆ स्थित होकर भी यह ग्रह जब 12वे स्थान कॊ देखता है तो अच्छे परिणाम देता है। पत्रिका के दूसरे तथा सातवें मॆ बैठा शुक्र शादी के बाद आर्थिक स्थिति को शानदार कर देता है।

पत्नी, प्रेमिका व सुंदर वाहन
शुक्र ग्रह को प्रेमिका माना गया है। संसार मॆ समस्त तरह का प्रेम इसी ग्रह से देखा जाता है।राधा कृष्ण का दिव्य प्रेम शुक्र ग्रह से ही सम्भव है। संसार मॆ समस्त सुंदरता इस ग्रह से ही है।शानदार तथा महँगे वाहन, मकान इस ग्रह की कृपा से ही सम्भव है।

शनि परम मित्र
जीवन मॆ कड़ी मेहनत से ही लक्ष्मी प्राप्ति होती है चाहे वह कर्म कैसा भी हो। हां एक बात अवश्य है की आपके कर्मफल भोगना पड़ता है। शनि व शुक्र का विशेष प्रेम है शुक्र की राशि तुला मॆ शनि उच्च राशि का होता है। यानी आपने जी तोड़ परिश्रम किया है तो लक्ष्मी कृपा आपको अवश्य प्राप्त होगी।

स्वच्छता पसंद है शुक्र ग्रह को
दीवाली के पहले लक्ष्मी पूजन के लिये हम सभी जगह सफाई करते है रंग रोगन भी करते है साफ वस्त्र पहनते है। इस तरह हम शुक्र ग्रह को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करते हैं। यदि आप स्वच्छ रहते है (निर्धन भी स्वच्छ रह सकता है) तथा कड़ी मेहनत करते है तो निश्चित रूप से आप पर लक्ष्मी मां की कृपा होगी।

भगवान विष्णु, लक्ष्मी तथा भ्रगु ऋषि में समझौता
मां लक्ष्मी हमेशा क्षीरसागर में शेषनाग में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु की चरण सेवा करती हैं। एक बार त्रिदेव के क्रोध की परीक्षा हेतु ऋषि भ्रगु ने क्षीरसागर में शयन कर रहे भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर प्रहार किया था। जिससे रुष्ट होकर माता लक्ष्मी ने ब्राह्मणों कों दरिद्र होने का शाप दिया। बदले में भ्रगु ने भी मां लक्ष्मी को श्राप दिया। इस झगडे को भगवान विष्णु ने सुलझाया। उन्होने कहा, जहाँ ब्राह्मण अपनी पूजापाठ व आशीर्वाद देगा वहा लक्ष्मी को आना ही पड़ेगा साथ ही जो व्यक्ति ब्राह्मणों को दान देगा उसे ही लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।

गुरुकृपा प्राप्त करे
यदि आप धन लक्ष्मी प्राप्त करना चाहते है तो इसके लिये आपको कड़ी मेहनत, स्वच्छता के अलावा गुरु, ब्राह्मण कृपा व आशीर्वाद आवश्यक है। यदि ब्राह्मण और गुरु रुष्ट है तो आपकी लक्ष्मी अन्यत्र चली जायगी।
पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु"
9893280184
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