नई दिल्ली। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे थे तब उसी लाल किले में बारुख का जखीरा भरा हुआ था। इतना कि पूरा लाल किला तबाह हो जाता। आज पुरातत्व विभाग को सफाई के दौरान यहां छिपाए गए भारी संख्या में कारतूस और विस्फोटक सामग्री मिली है। मामले की सूचना मिलते ही भारतीय सेना, एनएसजी, दमकल विभाग और बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंच गया है।
पुलिस सूत्रों की मानें तो कारतूस और विस्फोटकों को ऐसी जगह पर रखा गया था, जहां पर कोई आता-जाता नहीं है। पुलिस का कहना है कि बरामद हुआ बारूद बेकार हो चुका है। वो बहुत पुराना है। माना यह भी जा रहा है कि जिस समय भारतीय सेना यहां रहा करती थी, हो सकता है कि उसी समय यह कारतूस और विस्फोटक यहां छूट गए हो लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने सालों से यह बारुद इसी किले में मौजूद था। यदि हां तो यह और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री यहां से देश को संबोधित करते हैं। हजारों लोग मौजूद होते हैं। इससे पहले लालकिले का चप्पा चप्पा तलाश लिया जाता है। सुरक्षा के लिए यह जरूरी कदम होता है। तो क्या इतने सालों से सेना के सुरक्षा दस्ते ने कभी यहां आने की जुर्रत नहीं की। सवाल उठ रहा है कि सुरक्षा एजेंसियों से इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हो गई।
बता दें कि साल 2000 में लाल किले पर हुए हमले के बाद से लाल किले पर लगातार आतंकी हमलों की धमकियां मिलती रही हैं। सुरक्षा के लिहाज से लालकिला भारत के बेहद संवेदनशील प्रतीकों में गिना जाता है। ऐसे में लाल किले से इतनी बड़ी तादाद में कारतूसों और विस्फोटक का मिलना सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह कोई आतंकी साजिश थी जो इत्तेफाक से बिफल हो गई।