नई दिल्ली। सत्ता का स्वाद चख चुकी भाजपा अब विचारधारा और सिद्धांतों से शायद काफी दूर जा चुकी है। इसमें आरएसएस के राजनैतिक रुचि रखने वाले दिग्गज भी शामिल हैं। मामला भारत के आगामी राष्ट्रपति एवं उप राष्ट्रपति के चयन का है। लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई वरिष्ठ एवं योग्य नाम हैं परंतु आरएसएस चाहता है कि उपराष्ट्रपति की कुर्सी पर किसी दलित को बिठाया जाए ताकि उस पर लगा आरक्षण विरोधी होने का कलंक मिट सके और 'दूसरी बार भी मोदी सरकार' बनाई जा सके। इसके कारण भाजपा पर सवर्ण विरोधी होने का आरोप ना लग जाए और उसकी हिंदूवादी छवि बनी रहे इसलिए राष्ट्रपति पद के हिलए डॉ. मुरली मनोहर जोशी का नाम चलाया जा रहा है। कुल मिलाकर दोनों पदों के लिए योग्यताएं उनकी जातियां और कट्टर विचार बन गए हैं। बता दें कि डॉ. जोशी राममंदिर मामले में आरोपी रहे हैं। इसलिए कट्टर हिंदू नेता माने जाते हैं।
राष्ट्रपति भवन में जोशी और उपराष्ट्रपति निवास में किसी दलित को बिठाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नेतृत्व हिंदुओं के शीर्षस्थ समुदाय ब्राह्मणों और दलितों को एकजुट करके हिंदुत्व एकीकरण के एजेंडे को अगले आम चुनाव से पहले नई धार देना चाहता है। दलितों के जो तीन नाम चिह्नित किए गए हैं, उनमें केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलौत, महाराष्ट्र के भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेंद्र जाधव और लोकसभा के सांसद उदित राज शामिल हैं।
संघ नेतृत्व का मानना है कि राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए जरूरी मतों के आंकड़े से एनडीए के पास अभी करीब 70 हजार मत मूल्य की कमी है। जरूरी बहुमत जुटाने के लिए भाजपा को एनडीए के बाहर के कुछ दलों के समर्थन की भी जरूरत होगी, अत: राष्ट्रपति पद के लिए ऐसे नाम को आगे किया जाए जिसकी योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता निर्विवाद हो और आसानी से अन्य दलों का समर्थन जुटाया जा सके।
संघ को यह आशंका भी है कि अगर किसी हल्के कद के व्यक्ति को आगे किया गया तो कांग्रेस और अन्य भाजपा विरोधी दल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए आगे बढ़ाकर धर्मनिरपेक्षता का कार्ड खेलकर सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। लाल कृष्ण आडवाणी की अपेक्षा मुरली मनोहर जोशी को संघ नेतृत्व अपने वैचारिक एजेंडे के ज्यादा करीब पाता है।
पीएम मोदी और शाह करेंगे फैसला
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि संघ के चार शीर्ष पदाधिकारियों मोहन भागवत, भैया जी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले और कृष्ण गोपाल ने इस भावना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अवगत करा दिया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद और विधानसभाओं में मौजूदा सदस्य संख्या के मुताबिक एनडीए के सभी दलों को मिलाकर कुल मतों का मूल्य 471561 है। इनमें भाजपा के पास सर्वाधिक मत मूल्य 375821 हैं।जबकि कांग्रेस समेत यूपीए के कुल नौदलों केपास 238505 मत मूल्य हैं। वाम मोर्चे के पास 19424 और गैरएनडीए गैरयूपीए दलों के सांसदों और विधायकों का मत मूल्य 352212 है।
इन दलों में तृणमूल, सपा, अन्ना द्रमुक, बीजद, बसपा, टीआरएस जैसे 46 छोटे बड़े दल हैं। संघ का मानना है कि संसद और विधानसभाओं के मौजूदा सदस्यों का गणित पांच राज्यों के चुनावों के नतीजों के बावजूद बहुत ज्यादा नहीं बदलेगा। उसका सारा दारोमदार उत्तर प्रदेश के नतीजों पर टिका है, क्योंकि यहां के विधायकों के मत मूल्य ज्यादा हैं।