
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकने के बाद ही दूसरों पर उंगली उठाने की नसीहत दी। कांग्रेस और सपा के वाकआउट करने के कुछ समय बाद अभिभाषण पर संशोधन पेश करने के दौरान असंतोष जताते हुए माकपा, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, ने भी सदन से वाकआउट किया।
अभिभाषण पर राज्यसभा की मंजूरी मिलने के समय सदन में एनसीपी, वाईएसआर कांग्रेस और आईएनएलडी के कुछ सदस्य ही सदन में बचे थे। समूचा विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर लूट का आरोप लगाकर मर्यादा तोड़ी तो जवाब सुनने की भी हिम्मत होनी चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा, हम उसी भाषा में जवाब देने वाले व्यक्ति है। किसी भी रूप से पराजय स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले मनमोहन सिंह के नाम की एक पुस्तक आई थी। मुझे लगा कि प्रधानमंत्री ने खुद यह किताब लिखी है। मगर उन्होंने इसका ‘फॉरवर्ड’ ही लिखा था। किताब किसी और ने लिखी थी। भाषण भी सुनकर भी ऐसा लगा शायद ......।
कालाधन पर कार्रवाई से डर गईं थीं इंदिरा गांधी
इसके बाद कांग्रेस के आनंद शर्मा ने इसका विरोध किया। तो प्रधानमंत्री ने कहा कि जो शब्द मैंने बोला नहीं। उसका यह अर्थ समझ गए। ये गजब की बात है। इंदिरा गांधी को लेकर भी प्रधानमंत्री ने तीखा वार किया।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के एक नौकरशाह गोडबोले ने किताब में लिखा है कि इंदिरा गांधी ने काले धन पर गठित वांग्चू समिति की रिपोर्ट अपनी सत्ता हाथ से चले जाने के डर से पेश नहीं की। प्रधानमंत्री के बोलने पर कांग्रेस ने फिर इसका विरोध किया।
तो प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गोडबोले ने यह किताब लिखी तब तो आपने विरोध नहीं किया। मैं होता तो गोडबोले पर मुकदमा कर देता। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु के बंगाल विधानसभा में इंदिरा गांधी के खिलाफ भाषण का जिक्र किया। इस भाषण में बसु ने आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने यह रिपोर्ट इसलिए दबाई क्योंकि उसकी पूरी सत्ता काले धन पर टिकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस हम पर भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्ता पर कब्जा करने का आरोप लगा रही है जबकि पूर्व आरबीआई गवर्नर एस सुब्बाराव ने किताब लिखकर यूपीए सरकार के वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम पर उनको बताए बिना वित्तीय प्रबंधन की नीति लागू करने का आरोप लगाया था।
नोटबंदी पर विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में कही इतना बड़ा व्यापक निर्णय नहीं हुआ इसलिए दुनिया के अर्थशास्त्री के पास इसका लेखा जोखा करने का मापदंड नहीं है। दुनिया की युनिवर्सिटी के सामने इसकी केस स्टडी बन सकती है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर जनता और सरकार एक साथ है जबकि विपक्ष इसके खिलाफ है।