
वह लेबर कंपनी व टाटा मोटर्स के दो-तीन कर्मियों के सहयोग से आइएसआइ के एजेंट को पैसा ट्रांसफर करने में मदद करता था। इस काम में जमुई के आधा दर्जन बैंक शाखाओं से भी मदद मिली। इसमें लिप्त बैंक कर्मियों के नाम भी एटीएस के समक्ष प्राथमिकी जांच के दौरान सामने आ रहे।
नोटबंदी के बाद मनोज ने नगदी खपाने के लिए टाटा मोटर्स के कर्मियों का सहारा लिया तो खाता से पैसा ट्रांसफर करने में लेबर कंपनी का। कंपनी में जमा मजदूरों के पहचान पत्र और अन्य कागजात से खाता खुलवाकर रुपये की हेराफेरी की। उसके घर से जब्त तकरीबन तीन दर्जन से ज्यादा एटीएम कार्ड में अधिकांश कार्ड लेबर कंपनी से जुड़े मजदूरों के ही बताए जाते हैं।