नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि शादीशुदा बहन को पति से विरासत में मिली संपत्ति पर भाई कोई हक नहीं जता सकता है। उसे बहन का उत्तराधिकारी या पारिवारिक सदस्य नहीं माना जा सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए शीर्ष न्यायालय ने देहरादून निवासी दुर्गा प्रसाद की इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं जस्टिस आर बानुमथि की पीठ ने कहा, 'कानून की धारा 15 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी महिला को पति और ससुर से विरासत में मिली संपत्ति पर उन्हीं के उत्तराधिकारियों का अधिकार है।' अपनी याचिका में दुर्गा प्रसाद ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के मार्च, 2015 के आदेश को चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि देहरादून के जिस मकान में याची की स्वर्गीय बहन ललिता किराएदार के रूप में रह रही थी, उस पर दुर्गा ने अवैध कब्जा कर रखा है। उससे कब्जा खाली कराया जाए। हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए शीर्ष न्यायालय की पीठ ने कहा कि विवादित मकान को ललिता के ससुर ने 1940 में किराए पर लिया था। बाद में महिला के पति इसके किराएदार हो गए। उनकी मौत के बाद ललिता किराएदार बन गई।
फिर महिला की भी मौत हो गई। कानूनी प्रावधानों के अनुसार दुर्गा प्रसाद को ललिता का वारिस नहीं माना जा सकता है। लिहाजा मकान पर उसका कब्जा अवैध है। उसे खाली कराया जाए।