
महिला ने निचली अदालत द्वारा जून 2016 में उसके पति के तलाक आवेदन को स्वीकार करने के फैसले को चुनौती दी थी। खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालत ने सही तथ्यों पर तलाक का आवेदन स्वीकार किया है। पति तलाक के ठोस आधार को पेश करने में सफल रहा है। ऐसे में फैसले में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।
पति ने तर्क रखा था कि फरवरी 2002 में उसका विवाह हुआ था और तभी से पत्नी अलग रह रही है। यह उसके प्रति क्रूरता है। अदालत ने कहा कि याची अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाई। वहीं, याची ने माना है कि उसके पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बने थे।