भोपाल। आरक्षण मामले पर यूटर्न लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि जिनमें प्रतिभा है उन्हें आरक्षण की ज़रूरत नहीं है. हर चीज को आरक्षण से जोड़ना उचित नही। वो एनसीसी कैडेट्स की पंचायत को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। सवाल प्रमोशन में आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में हार की कगार पर खड़ी सरकार के संदर्भ में था। आरक्षण का विरोध कर रहे कर्मचारी संगठन सपाक्स ने सीएम के इस बयान का स्वागत किया है। अपील की है कि सभी को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
सनद रहे कि मान उच्च न्यायालय में मध्यप्रदेश पदोन्नति में आरक्षण नियमों को असंवैधानिक घोषित होने के बाद सरकार सर्वोच्च न्यायालय चली गई थी और प्रकरण अभी भी अंतिम निराकरण के लिये लम्बित है। उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा बनाए गए इन नियमों में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के शासकीय सेवकों को उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर पदोन्नत किये जाने हेतु कूछ ऐसे प्रावधान हैं जिन्हें मान न्यायालय ने संविधान की मूल भावना का उल्लंघन माना है। इन प्रावधानों/मानकों की छूट का लाभ देकर कई कनिष्ठ और अपर्याप्त अनुभव के एक वर्ग विशेष के शासकीय कर्मी प्रतिभावान अन्य लोगों को पीछे छोड़ वरिष्ठ पदों पर शासन द्वारा बैठा दिये गये हैं और यही कारण है कि मप्र की प्रशासनिक व्यवस्था पहले से कहीं अधिक चरमरा गई है। मजबूरन सरकार को पीपीपी मॉडल या निजीकरण की नीतियां अपनानी पड़ रहीं हैं।
नईदिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में आज पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण सुनवाई फ़िर नहीं हो सकी। स्वयम मान बेंच ने कहा कि आज की यह बेंच नियमित नहीँ होकर विशेष बेंच है चूँकि प्रकरण एक दिन में समाप्त नहीं हो सकता अत: प्रकरण की सुनवाई आज नहीं की जा सकेगी। आज नियमित बेंच के न्यायधीश श्री पन्त अवकाश पर थे एवम उनकी जगह श्री यू ललित बैठे थे। प्रकरण को दिनांक 14 फरवरी को प्रथम स्थान पर रखे जाने के आदेश हुए हैं। आज प्रतिवादी सपाक्स कि ओर से श्री रामजेठमालानी और श्री राजीव धवन व शासन/ अजाक्स की ओर से श्री बी शेखर, श्री संजय हेगडे, श्री विवेक तनखा और श्रीमती इंदिरा जयसिंह उपस्थित हुए।