भोपाल। 1962 के भारत-चीन युद्ध में उसने भारतीय सेना पर जमकर गोलियां बरसाईं थीं। कितने भारतीय सेनिकों को मारा या तो उसे याद नहीं या फिर वो बताना नहीं चाहता। बताए भी कैसे तब से वो लगातार भारत में रह रहा है। भारतीयों ने अपने देश पर हमला करने वाले को भी प्यार किया। एक लड़की ने शादी की। घर बसाया। गांव वालों ने रहने की अनुमति दी। बेदखल नहीं किया। सरकार ने भी पुनर्वास में मदद की। अब वो चीन जाकर अपने परिवार से मिलना चाहता है। 2014 से गुहार लगा रहा है। पिछले दिनों चीन दूतावास के 3 अधिकारी आए। घंटे भर तक बातचीत करते रहे और चले गए।
वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के खत्म होने के तुरंत बाद भारतीय सीमा में घुसते हुए पकड़े गए चीन के सैनिक वांग की को भारत सरकार ने तो मात्र 6 साल बाद ही रिहा कर दिया था, लेकिन चीन की सरकार ने उसे वापस अपने वतन लौटने की अनुमति ही नहीं दी। वो मप्र के बालाघाट जिले में रह रहा है। उम्र 77 साल हो गई है। मरने से पहले एक बार अपने रक्तसंबंधियों से मिलना चाहता है।
उनके बेटे विष्णु वान (35) ने बालाघाट में बताया कि भारत में स्थित चीन के दूतावास के तीन अधिकारियों ने मेरे पिता से मुलाकात की और एक घंटे से अधिक समय उनसे बातें कीं। उन्होंने उन्हें चीन की यात्रा के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
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