भोपाल। मप्र में अस्पतालों की लगातार खस्ता होती हालत को सुधारने के लिए शिवराज सरकार ने तय किया कि अस्पतालों का प्रबंधन IAS अफसरों के हाथ में दे दिया जाए। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वो इलाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे परंतु डॉक्टर्स सरकार के इस फैसले से नाराज हैं। ग्वालियर में IMA (INDIAN MEDICAL ASSOCIATION ) की नई कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में डॉक्टर्स ने स्पष्ट रूप से कहा कि IAS अफसर अस्पताल की व्यवस्थाओं को ठीक से समझ नही पाते। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और सीएम शिवराज सिंह के प्रिय मित्र नरेंद्र तौमर मौजूद थे लेकिन उन्होंने सरकार का पक्ष नहीं रखा।
कार्यक्रम में मांग की गई कि लगातार डॉक्टर्स के साथ हो रही तमाम घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि IAS (INDIAN ADMINISTRATIVE SERVICES) की जगह अस्पताल की व्यवस्थाओं वाले शासकीय विभागों की जिम्मेदारी आईएमएस (इंडियन मेडिकल सर्विसेज) के चिकित्सक अधिकारी को दी जाए। इससे वह अस्पताल की जमीनी परेशानियों को समझ सकेंगे और लगातार डॉक्टर्स के साथ हो रही हिंसा पर अंकुश लग सकेगा।
बता दें कि वर्तमान में भी अस्पतालों का प्रबंधन डॉक्टरों के हाथ में ही है। कलेक्टर केवल मॉनीटरिंग करने वाला अधिकारी मात्र है। वो किसी डॉक्टर को सीधे सस्पेंड तक नहीं कर सकते। मप्र में अस्पतालों की हालत किसी कचराघर से ज्यादा बेहतर नहीं है। गंदगी यहां के अस्पतालों का अभिन्न अंग है। दवाओं के स्टोर रूम से एक्सपायर हो चुकीं दवाएं बरामद होतीं हैं। कर्मचारी नियमित नहीं आते। वार्डबॉय अस्पताल में रेप कर देते हैं। एक मामला में तो महिला को एक्स रे के नाम पर नग्न करने की कोशिश की गई। मना करने पर जबर्दस्ती की गई। अत: तय किया गया कि डॉक्टर्स केवल इलाज करें। बाकी सारे प्रबंधन प्रशासनिक अधिकारी संभालेंगे।