नई दिल्ली। यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे अश्विनी कुमार ने कहा है कि बतौर मिनिस्टर और सांसद वो फेल रहे। कुमार ने सीनियर सिटिजन्स के राइट्स की हिफाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में उन्होंने कहा कि इस मामले में वे मंत्री और सांसद के तौर पर तो फेल हो गए, लेकिन एक सिटिजन के तौर पर फेल नहीं होना चाहते। PIL की सुनवाई के दौरान जब जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने उनसे पूछा कि कैसे फेल हुए? तो कुमार ने कहा, "कलेक्टिवली फेल"।
कुमार ने PIL में देशभर के जिलों में ओल्ड एज होम बनाने, सीनियर सिटिजन्स के हक की हिफाजत के लिए रास्ते खोजने और स्कीम्स लाने का मुद्दा उठाया था। SC की बेंच ने अश्विनी कुमार को सुनने के बाद कहा, "सरकार इस मामले में स्कीम्स पर विचार करे और ये बताए कि इन्हें देशभर में असरदार तरीके से कैसे लागू किया जाएगा। इस बारे में हमारे पास कोई आइडिया तभी आएगा, जब सरकार हमें स्कीम्स के बारे में बताएगी और ये भी बताएगी कि ये स्कीम्स कैसे काम करती हैं।
सरकार बताए तो हमें कुछ अंदाजा होगा: SC
SC ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद से कहा, "ऐसी 10 स्कीम्स हो सकती हैं। आप (केंद्र) ऐसी पोजिशन में हैं कि हमें लिस्ट दे सकते हैं, जिनमें स्कीम्स और उन्हें असरदार तरीके से लागू करने के जिम्मेदार लोगों के नाम हों। केंद्र सरकार जब बताएगी कि ये स्कीम्स क्या हैं और कैसे काम करती हैं, तब हमें इसके बारे में कुछ अंदाजा लग सकेगा।
योजना पर चर्चा चल रही है: मोदी सरकार
सरकार की ओर से पिंकी आनंद ने कहा, "अश्विनी कुमार ने जो मुद्दा उठाया है, सरकार उसे देख रही है। इस बारे में एक पॉलिसी है, जिस पर चर्चा चल रही है। जब बेंच ने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) की स्कीम्स के बारे में कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये बड़ी परेशानी है और एक मेकैनिज्म तो जरूर होना चाहिए। एक पार्टी ने जब ये कहा कि स्कीम्स में कुछ खामियां हैं, तो बेंच ने कहा, "यहां मसला किसी की बुराई करने का नहीं, बल्कि सुधार का है। हमें आगे बढ़ना होगा।
अप्रैल में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अप्रैल में सुनवाई करेगा। बता दें कि पहले इस मामले में SC ने NGO हेल्प एज इंडिया और NALSA से भी राय मांगी थी। NALSA कमजोर तबकों को फ्री लीगल सर्विस भी मुहैया कराती है। PIL में बुजुर्गों की सेफ्टी के लिए बजट बढ़ाए जाने की बात भी कही गई है।
गरीबी है, सिर पर छत नहीं है: कुमार
कुमार ने कहा, "देश में ऐसे बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है, जो गरीबी में जी रहे हैं और उनके सिर पर छत भी नहीं है। ना तो उनके पास ढंग का खाना है और ना कपड़े। बुजुर्गों की बेहतरी के लिए बजट भी बेहद मामूली ही है। कुछ कानून है और स्कीम्स भी हैं, लेकिन या तो वो लागू नहीं की गईं या फिर बेकार हो गईं। देशभर में 11 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिन्हें उनके अधिकार नहीं मिल रहे हैं।