
ग्वालियर विश्वविद्यालय से पीएचडी हेतु मुरैना में शोध केन्द्र तय किया गया था और गाइड की पदस्थापना श्योपुर जिले में थी, शोधार्थी भोपाल में अफसर है और शोधकार्य के दौरान निरंतर कार्यालय में उपस्थित रहा, फिर किस तरह डिग्री दे दी गई। श्री भंडारी को शोध कार्य की विभागीय अनुमति में भी अवकाश नहीं दिये जाने का उल्लेख था। डिग्री हेतु आवेदन भी अपूर्ण व नियोक्ता का प्रमाणपत्र भी संदेहास्पद है। आवेदन में स्नातकोत्तर गढ़वाल विश्वविद्यालय से किया जाना बताया गया है, किन्तु पीएचडी हेतु माइग्रेशन जामिया विश्वविद्यालय का प्रस्तुत किया गया है। ऐसे में पूरा मामला ही संदेहास्पद है।
प्रश्न के उत्तर में उच्चशिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने श्री यादव के तर्कों से सहमत होकर मामले की जॉंच एडीशनल कमिश्नर उच्च शिक्षा से कराये जाने की घोषणा कि और कहा कि विधायक द्वारा सुझाये गये सभी बिन्दु जॉंच में शामिल किये जायेंगे और यथाशीघ्र जॉंच पूरी कराकर गुणदोष के आधार पर कार्यवाही की जायेगी।