
पूनिया को 2009 में अयोग्य मानते हुए सेना से निकाल दिया गया था। यही नहीं, अक्षमता पेंशन के उनके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि मानसिक बीमारी के लिए सेना जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और आर भानुमति की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा, "सेना में कड़ी मेडिकल जांच के बाद ही किसी की भर्ती होती है। अगर सेवा के दौरान जवान को कोई मानसिक बीमारी होती है, तो निश्चित रूप से इसके लिए उसका काम जिम्मेदार है। इसलिए उसे पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता।" पूनिया की 2015 में मृत्यु हो चुकी है। इसलिए उनके परिजनों को पेंशन दी जाएगी।