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विदित हो कि शहनाज बेगम और रिजवान खान ने शमशाद अली से प्लाट किराए पर लेकर जम-जम फास्ट फूड शुरु किया था। प्लाट के मालिक शमशाद अली ने यह प्लाट आबिद खान से वर्ष 1971 में खरीदा था। जब प्लाट मालिक शमशाद अली ने प्लाट खाली करने के लिए बोला, तो किराएदार शहनाज बेगम और रिजवान खान ने दावा किया कि यह प्लाट उन्होंने आबिद खान से खरीदा है।
प्लाट मालिक शमशाद अली ने अपना प्लाट वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई। हाई कोर्ट कार्रवाई के दौरान यह बात सामने आई कि शहनाज बेगम और रिजवान खान ने आबिद खान के उर्दू में फर्जी हस्ताक्षर कर इस प्लाट की रजिस्ट्री उनके नाम करा ली है।
पूर्व मालिक आबिद खान ने अपनी गवाही में कोर्ट को बताया कि वह अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं और उर्दू में किए हुए उनकी हस्ताक्षर फर्जी हैं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में शमशाद अली के पक्ष में फैसला देते हुए शहनाज बेगम और रिजवान खान के विरुद्ध चार सौ बीसी, अमानत में खयानत का धारा 420, 419, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिया था।