आनंद ताम्रकार/बालाघाट। एक शासकीय स्कूल के संचालन के लिए सरकार कई प्रबंध करती है। ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आएं इसलिए 'स्कूल चलें हम' अभियान चलाया जाता है। इसके बाद भी यदि बच्चों की संख्या कम और शिक्षकों की संख्या अनुपात में ज्यादा हो तो युक्तियुक्तकरण करके अतिशेष शिक्षक को दूसरी शाला में भेज दिया जाता है। परंतु यहां तो खेल ही निराला है। 2 छात्रों पर 2 शिक्षक तैनात किए गए हैं। 40 से कम छात्र संख्या पर 2 शिक्षक और एक अतिथि शिक्षक नियुक्त कर दिया गया है। ऐसे 241 स्कूल हैं जहां सरकार का प्रबंधन फैल हो गया। अब इन स्कूलों को बंद करने की तैयारी चल रही है।
बालाघाट जिले के किरनापुर विकास खण्ड के साल्हे गांव का प्रायमरी स्कूल इसका ज्वलंत उदाहरण है जहां दर्ज बच्चों की संख्या और शिक्षकों की संख्या बराबर है 5वीं कक्षा तक पढाई किये जाने वाले इस स्कूल में दूसरी कक्षा में मात्र 2 बच्चे पढ रहे है जिन्हें 2 शिक्षक पढा रहे है। ऐसे स्कूल की संख्या कम नही बल्कि 241 प्रायमरी स्कूल ऐसे पाये गये है जिनमें बच्चों की दर्ज संख्या 20 से भी कम है। प्राथमिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों को स्कूल जाने और पढाई के प्रति रूचि जाग्रृत करने के लिये सरकार मध्याह भोजन योजना नि:शुक्ल किताबें और ड्रेस साइकिल दि जा रही है फिर भी बच्चों में स्कूल के प्रति बेरूखी दिखाई दे रही है।
सन 1990 के दशक में साल्हेटोला में स्कूल खुला तो बच्चों में उत्साह दिखाई दिया पालकों ने खुशी जाहिर की लेकिन अब मात्र 2 ही बच्चें शाला पहुचते है। जिला मुख्यालय बालाघाट में पुलिस लाईन के प्राथमिक स्कूल में कक्षा पहली में 3, दूसरी में 5, तिसरी में 5, चौथी में 6, पांचवी में 5 कुल 23 बच्चों का नाम दर्ज है। पढाई के लिये 2 शिक्षकों के अलावा एक अतिथि शिक्षक भी है इसके बावजूद इन्ही दर्ज बच्चों में से 5 बच्चें अन्य निजी स्कूलों में पढाई कर रहे है।
सर्व शिक्षा अभियान में उपलब्ध कराये गये आकडों के अनुसार जिले में 0-5 की दर्ज संख्या वाले 31 स्कूल, 6-10 के 57, 11-20 के 153 स्कूल हैं जो बंद होने की कगार पर चल रहे है। डीपीसी जे एल साहू के अनुसार 40 प्रवेशी बच्चों की संख्या के आधार पर खोले गये स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या कम हो गई है जिले में ऐसे करीब 241 स्कूल है जिनमें बच्चों की दर्ज संख्या 20 से भी कम है इन स्कूलों के समीप 1 किलोमीटर के अंदर कोई दूसरा स्कूल ना होने से ना तो इसका सविलियन किया जा सकता है ना ही इसे बंद किया जा सकता है यह शासन स्तर का मसला है।