
अध्यापक संवर्ग एवं सरकार के बीच तनातनी शिवराज सिंह सरकार पार्ट 2 के समय से ही चल रही है। शिवराज सरकार पार्ट 1 में अध्यापकों की कई मांगे मानी गईं लेकिन पार्ट 2 में सरकार ने मोलभाव शुरू कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अध्यापकों का आंदोलन चरम पर था। उनके नेता मुरलीधर पाटीदार ने सरकार की नाक में दम कर रखा था। सरकार को अध्यापकों की मांगे मानने के लिए मजबूर थी कि तभी शिवराज सरकार को सपोर्ट कर रहे आरएसएस के एक चाणक्य ने अपनी चाल चली और देखते ही देखते पूरा आंदोलन बिखर गया। कुछ दिनों बार मुरलीधर पाटीदार भाजपा के विधानसभा प्रत्याशी घोषित हो गए।
इसके बाद अध्यापकों की एकता बिखर गई। सरकार ने योजनाबद्ध ढंग से अध्यापकों को फिर कभी एकत्रित नहीं होने दिया। आजाद अध्यापक संघ नाम का एक संगठन उम्मीद की किरण बनकर सामने आया था परंतु उसके प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल में वो जिद वो जुनून नहीं था जो पाटीदार में हुआ करता था। नतीजा सबकुछ गुटबाजी का शिकार हो गया। इसी के चलते सरकार लगातार अध्यापकों के साथ राजनीति कर रही है और 6वां वेतनमान भी लटकाकर रखा गया है। अब अध्यापक हड़ताल की रणनीति बना रहे हैं। इधर सरकार की योजना है कि चुनाव से पहले न्यायोचित गणनापत्रक जारी करके 2.5 लाख परिवारों के वोट हासिल कर लिए जाएंगे और बिना 7वां वेतनमान लिए सबकुछ सानंद सम्पन्न हो जाएगा। देखना रोचक होगा कि अध्यापकों के एक दर्जन से ज्यादा कुनबों के नेता क्या इससे पहले अध्यापकों को कुछ दिला पाएंगे।