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स्थानीय अफसर जब तय नहीं कर पाए कि इनका संविलियन कौन करेगा, तो जिला शिक्षा अधिकारियों ने अगस्त-16 में आयुक्त लोक शिक्षण से मार्गदर्शन मांगा, जो अब तक नहीं मिला है। इस कारण इन कर्मचारियों को हर महीने करीब 17 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है।
ऐसे ही 1100 संविदा शिक्षक डीएड-बीएड योग्यता न होने की वजह से अध्यापक नहीं बन पाएंगे। दरअसल, राज्य सरकार ने सरकारी खर्च पर डीएड-बीएड की व्यवस्था खत्म कर दी है। आरटीई के मापदंड पूरे करने के लिए वर्ष 2012 में यह व्यवस्था शुरू की गई थी।
जिला शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र (डाइट) की 75 फीसदी सीटें सरकारी शिक्षकों के लिए आरक्षित की गई थीं। जिन 1100 संविदा शिक्षकों की बात हो रही है। वे वर्ष 1994 से 98 के बीच बतौर गुरुजी नियुक्त हुए थे।
उन्हें तीन साल की परिवीक्षा अवधि के दौरान डीएड-बीएड कराया जा सकता था। आरटीई के नियम के अनुसार डीएड-बीएड योग्यता नहीं होने पर अध्यापक नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए अध्यापक बनने की संभावना नहीं है। इस कारण इन संविदा शिक्षकों को हर माह 17 हजार रुपए का नुकसान होना है।
इन जिलों में परेशान हैं संविदा शिक्षक
आगर-मालवा, कटनी, रतलाम, जबलपुर, शाजापुर, बैतूल सहित अन्य जिले शामिल हैं।