भोपाल। हबीबगंज इलाके में लौकी की सब्जी खाने के बाद नगर निगम की महिला कर्मचारी की बीते शुक्रवार को मौत हो गई। जीआरपी बीना में पदस्थ डीएसपी क्यूआर जैदी की पत्ता गोभी की सब्जी खाने के बाद तबियत बिगड़ी और मौत हो गई। केमिकल युक्त सब्जी खाने के बाद हुई मौत के यह तो केवल दो उदाहरण मात्र हैं। इसके अलावा ना जाने कितने लोग बीमार हुए, कितनी मौतें हुईं जो रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पाईं।
बाजार में फल और सब्जियां, दूध और दाल-चावल में खतरनाक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग बेफिक्र है। रसायनों की सहायता से संरक्षित की हुई बेमौसम की सब्जियां पथरी, अल्सर, डायबिटीज, थायराइड, पाइल्स आदि बीमारियों को जन्म दे रहीं हैं।
ऐसे परखें मिलावट है या नहीं
फल व सब्जियों को खाने से पहले धोएं।
छिलका निकालकर इस्तेमाल करने से केमिकल का असर कम होगा।
सब्जियों के ऊपरी पत्ते व परतों को निकालने के बाद उसका इस्तेमाल करें।
सब्जियां खरीदते समय उन्हें सूंघ लें पावडर या केमिकल की खुशबू आ रही हो तो इन्हें न लें।
हरी सब्जी को हाथ में रगड़ कर देखें अगर रंग छूट रहा है तो समझ लें समझ लें इनमें रंग का प्रयोग हुआ है।
इंजेक्शन से करते हैं बड़ा
सब्जी के आकार को जल्दी बड़ा करने उनमें आक्सीटॉनिक्स का इंजेक्शन लगाया जाता है यह प्रयोग बेल वाली सब्जी पर ज्यादा होता है। इससे किसान मुनाफा कमाते है। बासी सब्जियों को मैलाथियान के घोल में 10 मिनट तक डाला जाता है, ताकि सब्जी 24 घंटे ताजा दिखे। इसका प्रयोग भिन्डी, गोभी, मिर्च, लौकी, पत्ता गोभी में होता है।
लीवर, किडनी के लिए डेंजर
गांधी मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निशांत श्रीवास्तव के मुताबिक कैमिकल वाली सब्जी-फल या अनाज के सेवन से किडनी, लीवर, आंत और पेट का कैंसर भी होता है। सब्जी में प्रयोग होने वाला मेलेकाइट ग्रीन किडनी सहित पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। आॅक्सीटोसीन नपुंसकता देता है।