भोपाल। मप्र के शिक्षामंत्री विजय शाह ने बीते रोज राजधानी के एक 3 स्टार होने में प्राइवेट स्कूल संचालकों के साथ एक कार्यक्रम में शिरकत की। सरकारी दस्तावेजों में इस कार्यक्रम को मीटिंग का नाम दिया गया, लेकिन इस मीटिंग ने कई सवाल खड़े कर दिए। सबसे बड़ा सवाल शिक्षा मंत्री विजय शाह की मंशा पर लग गया। क्योंकि वहां जो कुछ भी हुआ वो एक सरकारी आयोजन तो कतई नहीं था। हां, सरकारी खर्च पर आयोजित कुछ और जरूर कहा जा सकता है।
मामला प्राइवेट स्कूलों में वसूली जा रही मनमानी फीस का है। मप्र के स्कूल माफिया के खिलाफ एक बड़ा वर्ग लामबंद है। हाईकोर्ट तक बात जा चुकी है परंतु सरकार हर साल कार्रवाई टाल देती है। पिछले दिनों शिक्षामंत्री विजय शाह ने सिंघम स्टाइल में ऐलान किया था कि हर साल फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन बीते रोज जो हुआ उसने मंत्रीजी के दामन पर दाग लगा दिया।
प्राइवेट स्कूल संचालकों शिक्षा विभाग के सरकारी हॉल में बुलाने के बजाए 3 स्टार होटल में बुलाया गया। मनमानी फीस वसूली के लिए डांटने के बजाए शिक्षामंत्री ने उनका स्वागत किया। हाथ मिलाए, गले लगाए। कार्यक्रम स्थल के बाहर पेरेंट्स प्रदर्शन कर रहे थे परंतु बेपरवाह शिक्षामंत्री, प्राइवेट स्कूल संचालकों से गलबहियां करते रहे। सवाल यह है कि यह कैसी मीटिंग थी जो सरकारी भवन में नहीं की गई। इसके पीछे ऐजेंडा क्या था। क्या कुछ डील हुआ इस दौरान।