
सचिवों के समूह ने भूमि स्वामित्व कानून को एक निश्चित समय सीमा में लागू करने की संस्तुति की है। शहरी क्षेत्र में सुधार को लेकर गठित सचिवों के एक समूह ने शहरों के संचालन, नियोजन और वित्तीय प्रबंधन में सुधार कार्यक्रम के लिए अनेक सिफारिशें की हैं। सचिवों के समूह का मानना है कि शहरी क्षेत्र में सुधार के लिए लिए छोटे कदम उठाने के बजाय बड़े कदम उठाये जाने चाहिए। इस समूह ने शहरी क्षेत्र के विकास को लेकर विभिन्न बिन्दुओं पर अपनी सिफारिशें करने के अलावा भूमि स्वामित्व कानून बनाने पर विशेष बल दिया है।
समूह ने इस संबध में एक एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि देश में 90 प्रतिशत भूमि रिकॉर्ड अस्पष्ट है, साथ ही भूमि बाजार विकृत होने के साथ साथ भूमि के स्वामित्व को लेकर भी अस्पष्टता है। जिसके कारण देश को प्रति वर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 1.30 प्रतिशत नुकसान हो रहा है। सचिवों के समूह ने उक्त स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए भूमि स्वामित्व कानून बनाने तथा कानून को एक निश्चित समय-सीमा में लागू करने की सिफारिश की है।
सचिवों के समूह ने अपनी रिपोर्ट में देश के सकल घरेलू उत्पाद में शहरी क्षेत्र के विभिन्न स्रोतों से होने वाले राजस्व का भी जिक्र किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पालिका क्षेत्र से केवल 0.75 प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है, जबकि दक्षिण अफ्रीका में 6 प्रतिशत, ब्राजील में 5 प्रतिशत तथा पोलेंड में 4.50 प्रतिशत राजस्व पालिका क्षेत्र से सकल घरेलू उत्पाद में प्राप्त हैं।
सचिवों के समूह का कहना है कि सकल घरेलू उत्पाद में पालिका क्षेत्र का राजस्व बढ़ाने के लिये नगरपालिका बांड बनाये जाने चाहिए। सचिवों के समूह ने शहरी निकायों में पेशेवर लोगों को शामिल करने की सिफारिश की है। समूह का कहना है कि शहरों में आयुक्तों तथा वित्त और राजस्व के उच्च पदों पर प्रतियोगिता के तहत भर्ती की जाए। सिर्फ सुझाव देना सचिवों का काम नही है नीति बनवाने में सरकार को प्रेरित करना और उसका पालन करना भी उनके कर्तव्यों में शामिल होता है। सरकार का काम रिपोर्ट लेकर उस पर बैठना होता है। 6 दशकों से सरकारें इस विषय पर हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। भूमि का रिकार्ड व्यवस्थित नही हो सका है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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