भोपाल। मप्र में हुए 50 हजार करोड़ के बिजली घोटाले की जांच की मांग कर रहे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भोपाल पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। जिससे कई कार्यकर्ता घायल हो गए। आप कार्यकर्ता मप्र में महंगी हो गई बिजली का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि सरकार ने जान बूझकर बिजली महंगी कर रखी है। सोमवार को आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल के नेतृत्व में टीटी नगर दशहरा मैदान में प्रदर्शन किया गया। इसके बाद कार्यकर्ता सीएम हाउस की ओर बढ़े, लेकिन बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने लाठी भांजते हुए खदेड़ दिया। इसमें कई महिला कार्यकर्ता भी घायल हुई हैं। इससे पहले हुई सभा में अग्रवाल ने आरोप लगाया कि देश में सबसे महंगी बिजली होने के बावजूद मप्र सरकार ने फिर दाम बढ़ाने की तैयारी की है।
आरोप है कि राज्य सरकार ने 6 प्राइवेट कंपनियों से गैर कानूनी समझौते कर 50 हजार करोड़ का घोटाला किया है। बाजार में बिजली सस्ते दामों पर मिल रही थी परंतु सरकार ने महंगी बिजली खरीदी। कंपनियों से लगभग 1575 मेगावाट के समझौते किए, जिनमेंं फिक्स चार्ज के अनुसार 2,163 करोड़ 25 वर्ष तक देने ही पड़ेंगे। भ्रष्टाचार के कारण प्रदेश की जनता की जेब पर मार पड़ रही है।
वर्ष 2016-17 में चौका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जिनसे पता चला है कि जेपी बीना पॉवर से गत 11 महीने में 14.2 करोड़ यूनिट के लिए लगभग रु 478.26 करोड़ का भुगतान किया गया, जिससे औसत बिजली दर 33.68 रु/यूनिट पड़ी, इसी प्रकार झाबुआ पॉवर से खरीदी गयी 2.54 करोड़ यूनिट के लिए रु 214.20 करोड़ का भुगतान किया गया। जिससे बिजली खरीदी की दर रु 84.33 प्रति यूनिट पड़ी।इतना ही नही, कंपनी के साथ अनुबंध 5 जनवरी 2011 को हुआ लेकिन कंपनी में बेहद आंशिक उत्पादन मई 2016 से शुरु हुआ| नियमों को ताक पर रखकर बिजली कंपनियों से अनुबंध किये गए है। जरुरत से अधिक और महँगी बिजली खरीद कर जनता की गाडी कमाई को सरकार ने लूटा है यह आरोप आज राजधानी भोपाल में आम आदमी पार्टी ने प्रेस वार्ता आयोजित कर लगाए है और सरकार द्वारा किये गए बिजली घोटाले का पर्दाफ़ाश किया है।
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था की शिवराज सरकार ने छह कंपनियो से 1575 मेगावाट के गैर कानूनी समझौते किये। इसके अलावा ऐसा भी सौदा किया है जिसमें चाहे बिजली खरीदे या ना भी खरीदे तब भी चार्ज के 25 साल तक 2163 करोड़ रू देने ही होंगे। सरकार ने एक ही दिन मे 5 जनवरी 2011 को 5 कंपनियो से समझौता किए है। एमपी मे सबसे बड़ा बिजली घोटाला है, जिसमें 84 रू यूनिट तक बिजली खरीदी गई है। हमें 11000 मेगावाट की जरूरत पड़ती है जबकि सरकार द्वारा 17500 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।