
एनडीटीवी के राजनीतिक संपादक अखिलेश शर्मा ने एक प्रसंग सार्वजनिक किया है। उन्होंने बताया कि योगी को साल 2013 में महासचिव बनाते हुए उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया था। उसके बाद योगी ने उत्तरप्रदेश में बेजान पड़े संगठन में जान डालनी शुरू की। इस दौरान अमित शाह ने गोरखपुर का कई बार दौरा किया और योगी से चर्चा की। उसी दौरान एक बार जब अमित शाह गोरखपुर जा रहे थे तो रास्ते में एक जगह गांववाले उग्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उस समय शाह के पास कोई भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। जान का खतरा भांपकर शाह ने मदद के लिए योगी को फोन किया। देखते ही देखते कुछ ही मिनटों के अंदर योगी की हिंदू युवा वाहिनी के कई युवक मोटरसाइकिल से वहां पहुंच गए और शाह को सुरक्षापूर्वक वहां से बाहर निकाला।
कहा जा रहा है कि तभी से अमित शाह, योगी के फैन हो गए। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को यूपी का चैहरा बनाने का निश्चय कर लिया था। चुनावों से पहले उभरकर आई गुटबाजी के कारण अमित शाह कुछ समय के लिए चुप हो गए लेकिन चुनावी पोस्टरों पर उन्होंने ही योगी के फोटो लगवाए। जब पूर्ण बहुमत मिला तो एन मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को भी अमित शाह ने ही पलटवा दिया। शाह ने सीएम की कुर्सी सौंपकर योगी का उपकार चुकाया।