सीधी। बताया जाता है कि सेना में ग्लेशियर से लौटकर आने वाले सैनिक एवं अफसरों को कभी अंडमान नहीं भेजा जाता। कारण दोनों क्षेत्रों की जलवाऊ का विपरीत होना। यदि ऐसा किया जाए तो यह जानलेवा होगा। बावजूद इसके आर्मी अफसरों ने 2 साल ग्लेशियर में ड्यूटी करके लौटे सीधी केे सपूत पुणेन्द्र सिंह उर्फ ठाकुर अंडमान भेज दिया। जलवाऊ का जानलेवा असर सीधा उसके शरीर पर पड़ा और उसे कैंसर हो गया। 2 वर्ष तक जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा। अंतत: 18 मार्च को उसकी सांसें थम गईं। जवान पुणेन्द्र रिटायर कैप्टन टीपी सिंह का इकलौता पुत्र है।
एक परिवार के 6 लोग आर्मी में
जवान पुणेन्द्र सिंह उर्फ ठाकुर के पिता टीपी सिंह कैप्टन पद से रिटायर हुए है। तो चाचा छोटेलाल सिंह, लालमणि सिंह भी आर्मी से रिटायरमेन्ट है। हाल में मुनेन्द्र सिंह, अनिल सिंह चचेरे भाई आर्मी रहकर देश की सेवा कर रहे है।
पूरी कहानी संक्षिप्त में
जवान पुणेन्द्र सिंह उर्फ ठाकुर का जन्म 1 जनवरी 1977 में धुम्मा गांव में हुआ। कक्षा 1 से 8वीं तक पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर चुरहट एवं 9 से 12वी की पढ़ाई शासकीय स्कूल धुम्मा में हुआ। 30 जून 1997 में आर्मी में भर्ती हो गए। बता दें कि दो बर्ष पहले जवान पुणेन्द्र 116 सेन्टर इन्जीनियर रेजिमेन्ट गेलेशियर में भेजा गया। दो बर्ष पूरा होने के बाद एक माह के लिए कंपनी अमृतसर के पंजाब आ गई। ठीक एक माह बाद फिर पुणेन्द्र को अंडमान निकोवार भेज दिया गया। पिता टीपी सिंह ने बताया दो बर्ष गेलेसियर में रहने के बाद किसी भी जवान को अंडमान निकोबार नही भेजा जा सकता लेकिन आर्मी के अफसरो ने दोबार भेज दिया। पानी की खराबी के कारण पीलिया, पेट में छाले, कैंसर की बीमारी हो गई। इतना ही नही पहले दांया पैर जाम हो गया इसके बाद फिर बांए पैर भी जाम हो गया। डॉ झूठा दिलासा देते रहे कि सब ठीक हो जाएगा। 18 मार्च से सुबह 3:15 मिनट में सांसे थम गई।
सोमवार होगा अंतिम संस्कार
रविवार की रात करीब 11 बजे पुणेन्द्र का शव पूना से गृहग्राम बयां जबलपुर होते हुए धुम्मा गांव पहुंचेगा। सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे हायर सेकेन्ड्री स्कूल के पीछे तालाव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।