
निर्वाचन आयोग की ओर से सांसद, विधायक का चुनाव लडऩे वाले अभ्यर्थियों से नामांकन पत्र के साथ विधानसभा एवं लोकसभा का नोड्यूज मांगा जाता है। भदौरिया 2008-2013 तक मप्र विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। अत: उन्हे विधानसभा सचिवालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत थी। यूं तो भदौरिया का प्रचार पहले से शुरू हो गया है फिर भी अनापत्ति के लिए आनन फानन आवेदन किया गया और सचिवालय संडे को खुला रहा।
भदौरिया की जीत सुनिश्चित करने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उनके विरोधियों को चुप कराने के लिए जो भी जरूरी था, वो सबकुछ किया गया। एक अड़ंगे को तो इसलिए लालबत्ती दे दी गई ताकि भदौरिया के टिकट में कोई परेशानी ना आए। चुनाव के दौरान सीएम शिवराज सिंह की तूफानी सभाएं होंगी और जनता से अपील की जाएगी कि अरविंद भदौरिया नहीं शिवराज सिंह के नाम पर वोट दें, मोदी के नाम पर वोट दें।
अटेर विधानसभा में अरविंद भदौरिया का तीव्र विरोध भी मौजूद है। उनके भाई देवेंद्र भदोरिया पर कालाधन कमाने के आरोप लगते रहे हैं। विरोधी उन पर अवैध शराब बिकवाना, अवैध रूप से रेत उत्खनन कराना और पीडीएस का खाद्यान्न, केरोसिन ब्लैक करा कर करोड़ों रुपए कमाने का आरोप लगाते हैं। पत्रकार जितेन्द्र नरवरिया बताते हैं कि 2008 में चुनाव के दौरान अरविंद भदौरिया ने वादा किया था कि मैं विधायक बनने के बाद वेतन के रूप में केवल ₹1 ही लूंगा यदि मैं इससे ज्यादा पैसा लेता हूं तो वह गाय का मांस खाने के बराबर होगा। नरवरिया ने सोशल मीडिया पर मांग की है कि विधायक कार्यकाल में शासन से लिए गए सभी वेतन भक्तों की पूरी जानकारी सार्वजनिक करके दिखाएं दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ?