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ग्रामीणों ने सीईओ से पूछा, किसे दे दिया हमारे नाम पर पैसा
आदमपुर छावनी के सरपंच शकुनबाई और उनके पति नैमनारायण अहिरवार 50 से अधिक ग्रामीणों को साथ लेकर जिला पंचायत सीईओ से मिलने पहुंचे, सरपंच ने बताया उन पर गांव को ओडीएफ घोषित करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, सचिव को हटा दिया गया है, जिनके शौचालय बन चुके हैं, उन्हें भुगतान नहीं किया गया है, जबकि जनपद कार्यालय के बाबू बता रहे हैं, गांव के सभी लोगों को शौचालय निर्माण का भुगतान कर दिया गया है। जिन लोगों के शौचालयों के अब तक निर्माण ही शुरू नहीं हुआ है या जिनके शौचालय अधूरे हैं, उनके नाम पर भी भुगतान होना बताया जा रहा है, जबकि किसी को एक धेला तक अब तक नहीं मिला।
SBI के कियोस्क सेंटर के जरिए खोले गए फर्जी खाते
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एक संगठित माफिया ने पिछले साल ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का लालच देकर उनके आधारकार्ड और फोटो एकत्रित किए थे। एसबीआई के एक कियोस्क सेंटर संचालक के साथ मिलकर भोपाल में इनके बैंक खाते खुलावाए गए। इन ग्रामीणों के नाम से शौचालय निर्माण के आवेदन तैयार कर शौचालय की फर्जी फोटो तैयार कर जनपद पंचायत फंदा में प्रकरण पेश किए गए। इन खातों में पंचायत विभाग की ओर से तत्काल ऑनलाइन भी भुगतान हो, इसके बाद यह यह राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर हो गई। पूरे घोटाले में एसबीआई के कियोस्क सेंटर संचालकों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। इसके अलावा कबीर और सुलेमान नाम के दो दलालों के नाम भी सामने आए हैं, पंचायत विभाग के अफसर इनका प्रोफाइल खंगाल रहे हैं।
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इस गड़बड़ी के पकड़ में आने के बाद जिला पंचायत स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है। फंदा जनपद सीईओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर दिया है। तीन दिन के अंदर जांच पूरी करने के कहा गया है।
देवेश मिश्रा, डिप्टी सीईओ, जिला पंचायत भोपाल,
क्या बोले ग्रामीण
मेरे टॉयलेट को बने 6 महीना बीत गया है, लेकिन अब तक मेरे खाते में पैसा नहीं आया है। लेकिन पंचायत के सचिव ने बताया कि मेरे नाम पर भोपाल के किसी खाते में पैसा जमा हुआ है। लेकिन मैंने तो भोपाल में कोई खाता ही नहीं खुलवाया।
डोरीलाल केवट, निवासी छावनी पठार
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मेरे यहां शौचालय का निर्माण ही नहीं हुआ है। न मैं ईंट लाया न सीमेंट लाया, जबकि मेरे घर में टॉयलेट बने होने का फोटो लगा होना बताया जा रहा है। मेरे नाम पर 12 हजार रुपए किसी बैंक खाते में जमा कर दिया गया, और मुझे पता तक नहीं हैं।
उमेश जाटव, निवासी आदमपुर छावनी
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मेरे मकान में पिछले 5 साल से टॉयलेट है। मैंने न तो अभी टॉयलेट बनवाया है न ही कोई आवेदन दिया है। लेकिन मेरे नाम पर फर्जी खाते में 12 हजार रुपए का भुगतान किया गया है, आखिर यह पैसा गया कहां?
कैलाश सिंह ठाकुर, आदमपुर छावनी