
डॉ. जफर ने 21 अप्रैल 2013 को यूनिवर्सिटी में कुलपति की कमान संभाली थी। जिसके बाद उन्होंने छात्र और कर्मचारियों के हित में कई फैसले लिए। दो साल पहले उन्होंने यूनिवर्सिटी के 80 कर्मचारियों को संविदा से नियमित कर्मचारी बना दिया।
इसी दौरान 27 पदों पर टीचिंग स्टॉफ की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। इन 80 कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी के सामान वेतन मिलने लगा। इस बीच 27 पदों पर इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी हो गई। केवल नियुक्ति के आदेश होने बाकी थी। इसी बीच कुछ लोगों ने सरकार से कर्मचारियों को नियमित करने और नई भर्ती करने के मामले में नियमों की अनदेखी करने की शिकायत की थी। इसी बीच नियमितीकरण की प्रक्रिया को लेकर शिकायतकर्ता हाईकोर्ट चले गए। सरकार ने दोनों मामले में कुलपति के खिलाफ राज्यपाल को पत्र लिखा था।
ऑडिट में निकली थी 3 करोड़ की रिकवरी
यूनिवर्सिटी में हाल ही में ऑडिट कराई गई, जिसमें 3 करोड़ की रिकवरी निकली थी। सूत्रों के मुताबिक दो साल पहले जिन 80 कर्मचारियों को संविदा से नियमित किया था, उन्हें इस राशि का भुगतान वेतन के रूप में किया गया था। इसके अलावा भी दूसरे खर्चे में अधिक राशि का उपयोग करना सामने आया था। उसके बाद से शिकायतकर्ता लगातार कुलपति को हटाने का दबाव बना रहे थे।
यह भी हो सकती है हटाने की वजह
सूत्रों के अुनसार डॉ. जफर 66 साल के हो चुके हैं। नियमों के तहत यूनिवर्सिटी के कुलपति की कार्यकाल अधिकतम 65 साल तक हो सकता है। इस आधार पर उनकी उम्र तय नियम से अधिक हो चुकी थी। हालांकि यूजीसी के नियमों के तहत विश्वविद्यालयों के कुलपति की उम्र 70 साल है, लेकिन भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने यूजीसी के तहत अपने नियमों में बदलाव नहीं किया था। जिसके तहत उन्हें हटाना पड़ा।
उच्चाधिकारियों के कहने पर नहीं की नियुक्ति
सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग में पीएस लेवल के कुछ अधिकारी कुलपति से कुछ नियुक्तियां कराना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। जिसके चलते उन पर दबाव बनाया जा रहा है। शिकायतों को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
राज्यपाल दो बार लौटा चुके थे फाइल
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल दो बार डॉ. जफर पर कार्रवाई से जुड़ी फाइल वापस कर चुके थे। इसके बावजूद उच्च शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी उन्हें हटाने को लेकर अड़े हुए थे। उसके पहले सरकार ने पत्र भी लिखा था। कार्यकाल खत्म होने के 33 दिन पहले डॉ. जफर को हटाने की कार्रवाई कई सवालों को जन्म दे रही है।
कांग्रेसी कनेक्शन के चलते गिरी गाज
भोज विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक जफर को हटाने के लिए काफी दिन से तैयारी चल रही थी। अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि उनके कांग्रेसी कनेक्शन भी इसकी एक वजह बनी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी राज्यपाल से शिकायत की थी। जफर के स्थान पर नियुक्त नए कुलपति डॉ. कान्हेरे को उनके आरएसएस के प्रति झुकाव के चलते नवाजा गया है।