लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 121 विधानसभा क्षेत्र में सीटें जीती थी, जिसके बाद 2015 में बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान तमाम विपक्षी दलों ने गठबंधन किया और 2014 के 3 फीसदी भाजपा वोट उसके हाथ से चले गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ 53 सीटें हासिल हुई और वह प्रदेश का चुनाव हार गई।
बिहार की ही तर्ज पर यूपी में भी भाजपा ने 2014 में 328 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर 71 सीटें हासिल की, यूपी में भी विपक्षी दलों ने गठबंधन किया और 2014 की तुलना में भाजपा का 3 फीसदी वोट दूसरे दलों में गया बावजूद इसके भाजपा ने यहां प्रचंड बहुमत हासिल किया। लेकिन इसके पीछे जो बड़ा आंकड़ा है वह यह कि 2014 के 10 फीसदी वोटरों ने अपना वोट दूसरे दलो को दिया जिसके चलते भाजपा का इतनी बड़ी जीत यूपी में मिली।
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 44 फीसदी मतदाताओं ने 377 विधानसभा सीटों पर भाजपा को अपना वोट दिया था, लेकिन 2017 में भाजपा को 41 फीसदी वोट मिला, यानि पार्टी को सिर्फ 3 फीसदी वोट का नुकसान हुआ लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। भाजपा ने 2014 में 314 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की जबकि 2017 में 307 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा ने 276 सीटों पर अपना वोट शेयर खोया जबकि 146 विधानसभा क्षेत्रों में अपना वोट शेयर बढ़ाया जिसके चलते पार्टी को फायदा मिला।
दोनों ही चुनावों पर नजर डालें तो भाजपा ने 2014 की जिन 276 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी उन्हीं सीटों पर 2017 में भी पार्टी ने जीत दर्ज की। दूसरे शब्दों में कहे तो भाजपा ने दोनों ही चुनावों में भाजपा ने 90 फीसदी सीटों पर जीत को दोहराया है।
2014 की तुलना में 2017 में भाजपा ने 28 नई सीटों पर अपना दांव आजमाया, हालांकि भाजपा का तीन फीसदी वोट कम हुआ लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने 2014 की तुलना में इस बार काफी बड़ी जीत हासिल की है। शुरुआत में भाजपा का लक्ष्य था कि उन सीटों पर वह जीत दर्ज करे जिसपर उसने 2014 में जीत दर्ज की थी।