
उन्होंने कहा, "16 तारीख के इनविटेशन में मेरा नाम था, लेकिन 28 तारीख के इनविटेशन में मेरा नाम नहीं था। इसके बावजूद ऑर्गेनाइजर्स ने कहा कि मुझे आना होगा। शाजिया ने आरोप लगाते हुए कहा, "मुझे न बुलाने के लिए ऑर्गनाइजर्स पर बहुत प्रेशर डाला गया। यूनिवर्सिटी में मेरा विरोध करने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा थे।
उन्होंने दावा किया कि वाइस चांसलर ने सेमिनार के ऑर्गनाइजर्स से कहा कि अगर शाजिया यहां आती हैं तो हंगामा होगा क्योंकि स्टूडेंट्स उनका विरोध कर रहे हैं। कहा, "ऑर्गनाइजर्स न तो मुझे मना कर पा रहे थे और न आने के लिए कह पा रहे थे। ऐसे मैं मैंने न जाना ही बेहतर समझा।
'मेरे जामिया जाने से क्यों हो रही दिक्कत?'
शाजिया ने कहा, "मैं जामिया की पूर्व छात्रा हूं और मेरा ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा हैं, ऐसे में मेरे जामिया जाने से किसे और क्यों दिक्कत हो रही है। शाजिया का आरोप है कि वो बीजेपी की नेता हैं, इसी वजह से उन्हें जामिया में बोलने से रोका गया। उन्होंने कहा, "जो लोग फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर बात करते हैं अब वो मेरी अभिव्यक्ति की आजादी छीने जाने पर चुप क्यों हैं। इल्मी ने ABVP और BJP का जिक्र करते हुए कहा, "कोई भी ABVP और BJP के शोषण की बात नहीं करता, इंग्लिश मीडिया ऐसे लोगों द्वारा चलाया जा रहा है जो कि बीजेपी के खिलाफ चीजें छापते और दिखाते हैं।
डीयू में सेमिनार कैंसल होने से मचा है हंगामा
जामिया सेमिनार का यह मुद्दा ऐसे समय में सामने आया है जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार को कैंसल करने के बाद से हंगामा मचा है। यह सेमिनार ABVP के विरोध के चलते कैंसल किया गया है। ABVP इस सेमिनार का विरोध इसलिए कर रही थी क्योंकि इसमें जेएनयू के 2 स्टूडेंट्स उमर खालिद और शेहला राशिद को बुलाया गया था। इसके बाद से ही यूनिवर्सिटी में झड़पों, प्रदर्शनों और मार्च का सिलसिला शुरू हो गया।