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सीएम बंगले से जुड़े बदनामी के किस्से
देहरादून की वादियों में करोड़ों की लागत से बना सीएम आवास अपनी खूबसूरती के लिये इतना मशहूर नहीं जितना सियासी हल्कों में अपनी बदनामी के लिये जाना जाता है। चर्चा आम है कि सीएम बंगला जब से बना और जिस मुख्यमंत्री ने भी इसमें अपना आशियाना बनाया उस मुख्यमंत्री की कुर्सी सलामत नहीं रही। बस इसी बात के लिये यह बंगला बदनाम हो चला।
कुछ यूं शुरू हुआ सीएम बंगले की बदनामी का सिलसिला
सीएम आवास की बदनामी का सिलसिला सूबे में कांग्रेस की तिवारी सरकार से शुरू हुआ। बंगला अभी पूरा बना भी नहीं था कि बंगले को अपना निवास बनाने से पहले ही तिवारी अपनी 5 साल की सियासी उलझनों वाली सरकार पूरी कर चुके थे और दोबारा सत्ता में नहीं लौटे।
खंडूड़ी-निशंक के लिए भी बंगला साबित हुआ मनहूस
कांग्रेस की तिवारी सरकार के बाद सूबे में आई बीजेपी की सरकार के सीएम बीसी खंडूड़ी बने। इस अधूरे बंगले को खंडूड़ी ने दिलोजान से तैयार करवाया। लेकिन खंडूड़ी जब इस बंगले में रहने के लिये पहुंचे तो लगभग ढाई साल में ही उनकी कुर्सी खिसक कर डॉ रमेश पोखियाल निशंक के हाथों में आ गयी। निशंक भी सीएम बनने के बाद इस बंगले से अपनी सत्ता चलाने लगे लेकिन सरकार पूरी होने से लगभग 6 महीने पहले ही निशंक भी बदनामी के दाग लेकर सीएम कुर्सी से उतार दिए गए।
दोबारा सत्ता बीसी खंडूड़ी के हाथ आ गयी पर जब चुनाव आए तो सूबे में खंडूड़ी सरकार नहीं बल्कि कांग्रेस की सरकार आ गयी और कुर्सी मिली विजय बहुगुणा को। मुख्यमंत्री पद पर अपनी ताजपोशी करवाने के बाद विजय बहुगुणा भी इसी आवास में रहने लगे। लेकिन दो सालों में बदनाम सरकार का सिर पर तमगा लिए विजय बहुगुणा भी सत्ता से बेआबरू होकर हटाये गए। इन घटनाक्रमों के साथ-साथ ये भ्रम भी पुख्ता होता गया कि यह आलीशान सीएम आवास मुख्यमंत्रियों की कुर्सी निगल जाता है।
सीएम त्रिवेंद्र ने विधि-विधान से कर लिया है प्रवेश
आज सुबह सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस नए बंगले में प्रवेश किया और इस मौके पर त्रिवेंद्र सरकार के कई कैबिनेट मंत्री भी इस पूजा में शमिल हुए। कहा जा रहा है कि सीएम प्रवेश से पहले कई ज्योतिष और पंडितों से पूछताछ के बाद आज इस घर में आये हैं। सीएम के इस बंगले में आज शुभ महूर्त में अपने परिवार के साथ पूजा पाठ और अनुष्ठान किया।
बोले सीएम- टूट चुके हैं सारे मिथक
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मिथन तोड़ने के लिए इस घर में प्रवेश नहीं किया बल्कि वो इसलिए यहां आए हैं क्योंकि ये मुख्यमंत्री निवास है और इसपर करोड़ों रुपया खर्च हुआ है। जनता और मीडिया के लिए यहां पर सुविधाएं हैं। तमाम लोग जो मुख्यमंत्री से मिलने यहां आएंगे उनके लिए यहां हर चीज की सुविधा है, जिससे आराम से बातचीत हो सकती है। लोगों को घंटों लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ेगा। वहीं, मिथक पर सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि मिथक को अपने आप ही टूट चुके हैं।