![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEieZu7r8Lj0F0ye83FQyL9SRzvwBBrxEs4YLKlKVvRgfUF7hHF_2NHRXlfufXako2ptZu4Bld3VbJDjq9uXAdoVFsFkP4OE1R3AiBMHFqQio6HwG3kYP24aJ6_sfPlLYLtI1bzTpBJWLZU/s1600/55.png)
सत्यदेव कटारे के निधन के बाद उनकी विधवा मीरा कटारे ने चुनाव की कमान संभाली हुई है। वह क्षेत्र के हर गांव और इलाके में महिलाओं की टोली के साथ पहुंच रही हैं और अपनी झोली फैलाकर बेटे के लिए वोट मांग रही हैं। हाल ही में हुए उनके पति के निधन के कारण महिलाओं की भीड़ का उन्हें समर्थन मिल रहा है। महिलाएं उन्हें घेर लेती हैं और वो जब अपनी आंखों में आंसू लिए झोली फैलाकर समर्थन की अपील करती हैं तो महिलाओं की भावनाएं और सहानुभूति उनके साथ जुड़ रही हैं।
यहां सत्यदेव कटारे की मृत्यु के बाद हेमंत के प्रति सहानुभूति तो है ही भाजपा प्रत्याशी अरविंद भदौरिया का विरोध भी कम नहीं है। 2013 में यहां से चुनाव हारने के बाद भदौरिया ने क्षेत्र की तरफ कभी मुड़कर भी नहीं देखा। भोपाल में भी अटेर के लोगों की कोई खास मदद नहीं की। वो अटेर की तरफ कुछ इस तरह देखते थे, जैसे अटेर के लोग उनके गुनहगार हैं और मौका मिलते ही भदौरिया, अटेन की जनता से बदला लेंगे।