बीजू पटनायक: एक पायलट, पूरे राज्य को ऊंचाईयों पर ले गया

Bhopal Samachar
बीजू पटनायक का जन्मदिन का जन्मदिन ओडिशा में "पंचायतीराज दिवस" के रूप में मनाया जाता हैंं बिजयानन्दा पटनायक, बीजू पटनायक के नाम से जाने जाते थे। वह एक महान राजनीतिज्ञ थे और दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। ओडिशा में बहुत से लोग उन्हें शेर-ए-उत्कल अर्थात ओडिशा का शेर कहते हैं। बीजू पटनायक 5 मार्च 1916 को एक कुलीन परिवार में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता लक्ष्मीनारायण पटनायक और आशालता पटनायक ओडिशा के गंजाम जिले से सम्बंध रखते थे।

जब बीजू पटनायक की आयु 13 वर्ष की थी तो उन की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई और वह उन के प्रभाव में आ गए। उन्होंने पायलट का प्रशिक्षण लिया था और अपना कैरियर एक निजी एयरलाइंस के साथ शुरू किया, लेकिन वह द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हो गए थे। 

महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े 
जब वह नौकरी में थे तो राष्ट्रवादी राजनीति की ओर आकर्षित और हुए उन्होंने गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन किया।  वह भारतीय सैनिकों के ऊपर से उड़ान भरते हुए, 'भारत छोड़ो' के पर्चे गिराया करते थे। और जब वह छुट्टी पर होते थे तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को गुप्त बैठकों के लिए ले जाया करते थे। उनकी गतिविधियां लंबे समय तक अंग्रेजों की आंखों से छिप नहीं सकीं। उन को 1943 में जेल में बंद कर दिया गया और वह 1946 तक जेल में ही रहे।

कश्मीर में भारतीय सेना को उतारने वाले पहले पायलट 
आजादी की लड़ाई के दौरान वह जवाहर लाल नेहरू के करीब आए। भारत की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने कलिंग एयरलाइंस के नाम से अपनी एयरलाइंस शुरू की और वह खुद उस के चीफ़ पायलट बने। जब कश्मीर की समस्या शुरू हुई तो नेहरू जी ने उन से भारतीय सैनिकों को श्रीनगर पहुँचाने के लिए के कहा। वो पहला विमान जो 27 अक्टूबर 1947 को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे से भारतीय सैनिकों को ले कर सुबह सुबह श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरा था उस के पायलट बीजू पटनायक थे। उन्होंने पहली सिख रेजिमेंट के सैनिकों को श्रीनगर पहुँचाया। 

इंडोनेशियाई स्वतंत्रता सेनानियों को भी बचाया
इंडोनेशियाई स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बीजू पटनायक ने दो प्रमुख इंडोनेशियाई स्वतंत्रता नेताओं, सुलतान सझारीर और सुकर्णो, को बचाया और उन को इंडोनेशिया के एक दूरदराज व गुप्त ठिकाने से भारत ले कर आए। पटनायक के इस बहादुरी के कृत्य के लिए इंडोनेशिया ने उनको अपनी नागरिकता दी और 'भूमि पुत्र' के अवार्ड से सम्मानित किया। साल 1996 में, जब इंडोनेशिया अपना 50 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तो बीजू पटनायक को वहां का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, 'बिनतांग जासा उतामा' दिया गया। 

बड़े कारोबारी बन गए 
बीजू पटनायक ने कलिंग एयरलाइंस के अलावा, कई टेक्सटाइल मिल्स, लौह अयस्क और मैंगनीज की खानें, एक स्टील मिल और घरेलू उपकरणों के कई कारखाने भी स्थापित किए और वह एक बड़े व्यापारी बन गए। कलिंग एयरलाइंस का बाद में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय कर दिया गया।

इंदिरा गांधी से मतभेद, अपनी पार्टी बनाई 
बीजू पटनायक को 1946 में उत्तर कटक विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा के लिए निर्विरोध चुन लिया गया। वह 1952 और 1957 में राज्य विधानसभा के लिए फिर से चुने गए। वह 1961 में ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष और 23 जून 1961 को ओडिशा राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए। उन्होंने 2 अक्टूबर 1963 को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। वह श्रीमती इंदिरा गांधी के बहुत करीब थे लेकिन कई मतभेदों के कारण 1969 में उन से अलग हो गए। उन्होंने एक क्षेत्रीय पार्टी, उत्कल कांग्रेस, का गठन किया।

जेपी आंदोलन में जुड़े, जनता पार्टी बनाई 
बीजू पटनायक 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हो गए। श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1975 में भारत में आपातकाल लागू कर दिया और पटनायक अन्य विपक्षी नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। वह 1977 में जेल से रिहा हुए। वह जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक थे और उन्होंने ओडिशा के केंद्रपाड़ा से उस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता। वह 1979 तक मोरारजी देसाई और चरण सिंह की सरकारों में इस्पात एवं खान मंत्री रहे। वह इसी सीट से 1980 और 1984 में लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित किए गए। उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह के भारत के प्रधानमंत्री चुने जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

फिर सीएम बने 
जनता दल को 1990 के ओडिशा राज्य के विधानसभा चुनाव में एक ज़बरदस्त बहुमत मिला और बीजू पटनायक दूसरी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने और 1995 तक इस पद पर बने रहे। वह 1996 में कटक और अस्का सीटों से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए पुन: चुने गए। उन्होंने कटक की सीट छोड़ दी। वह 17 अप्रैल 1997 को अपनी मृत्यु तक लोकसभा के सदस्य रहे।

आधुनिक ओडिशा के मुख्य निर्माता
बीजू पटनायक आधुनिक ओडिशा के मुख्य निर्माताओं में से एक हैं। उन को मुख्यमंत्री के रूप में अपने दो कार्यकालों के दौरान राज्य में एक औद्योगिक आधार विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पारादीप पोर्ट परियोजना लागू की भले ही केंद्र सरकार शुरू में इस के लिए तैयार नहीं थी।

कलिंग शब्द से आत्मीय लगाव 
उन्होंने एक गौरवशाली ओडिशा का सपना देखा था। वह "कलिंग" और "श्री जगन्नाथ" के बारे में बहुत भावुक थे। कलिंग, ओडिशा का प्राचीन नाम, है और इस शब्द के लिए उनके दिल में खास जगह थी। उनकी हर परियोजना सीधे या परोक्ष रूप से कलिंग के साथ जुड़ी होती थी।
उन्होंने कलिंग ट्यूब्स, कलिंग एयरलाइंस, कलिंग आयरन वर्क्स, कलिंग रेफ्रेक्ट्रीज और एक दैनिक उड़िया अखबार, कलिंग, की स्थापना की। उन्होंने 1951 में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतरराष्ट्रीय कलिंग पुरस्कार शुरू किया। उन्होंने फुटबॉल कलिंग कप की भी स्थापना की।

राज्य का औद्योगीकरण किया 
उन्होंने राज्य में औद्योगीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने पारादीप पोर्ट परियोजना के अलावा, नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी (नाल्को), तालचर थर्मल पावर स्टेशन, बालीमेला पनबिजली परियोजना, और कई औद्योगिक क्षेत्रों की भी स्थापना की।  उन्होंने राज्य में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, राउरकेला और भुवनेश्वर में उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे कई शैक्षिक संस्थानों की भी स्थापना की। 

जन्मदिन पर शासकीय अवकाश होता है 
ओडिशा सरकार ने कई संस्थानों को उन का नाम दिया है जैसे भुवनेश्वर में बीजू पटनायक हवाई अड्डा और बीजू पटनायक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय। उनका जन्मदिन, 5 मार्च, ओडिशा में "पंचायती राज दिवस " के रूप में मनाया जाता है और इस दिन राज्य में छुट्टी होती है। बीजू पटनायक ने ज्ञान सेठी से शादी की थी जो एक प्रमुख पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उन के दो बेटे, प्रेम और नवीन पटनायक, और एक बेटी, गीता मेहता, हैं। उनके बड़े बेटे प्रेम पटनायक दिल्ली में एक उद्योगपति हैं। उनके छोटे बेटे, नवीन पटनायक, ओडिशा के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। उनकी बेटी, गीता मेहता, एक अंग्रेजी लेखक है जों न्यूयॉर्क में रहती हैं और उन्होंने सन्नी मेहता से शादी की है। 
प्रस्तुति: जीआरएनएफ/ GRNF

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!