
सिफारिशों के अनुसार निदेशक मंडल स्तर से नीचे के कार्यकारियों के लिये न्यूनतम मासिक वेतन 12,600 रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 30,000 रुपये प्रति माह किये जाने की सिफारिश की गयी है। हालांकि, सीएमडी के मामले में अनुसूची ए सीपीएसई के लिये अधिकतम वेतन 3.7 लाख रुपये मासिक किये जाने की सिफारिश की गयी है। अनुसूची बी, सी और डी श्रेणी के केंद्रीय लोक उपक्रमों के मामले में अधिकतम मासिक वेतन क्रमश: 3.2 लाख रुपये, 2.9 लाख रुपये और 2.8 लाख रुपये करने की सिफारिश की गयी है।
न्यायमूर्ति सतीश चंद्रा समिति की सिफारिशें एक जनवरी 2017 से अमल में आएंगी। इसे मंजूरी के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास रखा जाएगा।लाभ के आधार पर सार्वजनिक उपक्रमों को विभिन्न अनुसूची में वर्गीकृत किया जाता है। सर्वाधिक मुनाफे वाली कंपनी को अनुसूची ए में रखा जाता है। देश में अनुसूची ए के अंतर्गत 64, बी के अंतर्गत 68, सी के अंतर्गत 45 और डी के अंतर्गत चार लोक उपक्रम हैं।
समिति ने आवास भत्ता (एचआरए) के बारे में भी सिफारिशें की है।समिति के अनुसार औद्योगिक महंगाई भत्ता (आईडीए) प्रतिरूप में किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की गयी है और 100 प्रतिशत महंगाई भत्ता होने पर उसे निरपेक्ष (न्यूट्रिलाइज) करने का काम पहले की तरह जारी रहेगा।
समिति ने मूल वेतन में सालाना इंक्रीमेंट तीन प्रतिशत रखने को जारी रखने का सुझाव दिया है।उसने सीपीएसई कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव नहीं करने की सिफारिश की है।समिति ने यह भी कहा है कि ईसाप सीपीएसई और उसके कर्मचारी दोनों के लिये फायदेमंद है।
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि अपने अधिशेष संसाधनों के साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की लागत का वहन करने वाली लाभ कमा रही कंपनियों को वीआरएस नीति क्रियान्वित करने की अनुमति होगी।